शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी मिलकर महाराष्ट्र में बनाएगी सरकार
महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर उलझा मामला सुलझता नज़र आ रहा है। राज्य की कुर्सी पाने के लिये शिवसेना बीजेपी से नाता तोड़ अब कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिलाने की पूरी तैयारी कर चुकी है। पिछले दस दिनों से शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के बीच फंसा पेंच अब साफ हो चुका है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से शिवसेना की सरकार बनेगी।
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाक़ात के बाद एनसीपी चीफ शरद पवार ने अपने घर पर एनसीपी के नेताओं के साथ बैठक की। महाराष्ट्र लौटते ही शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और शिवसेना नेता संजय राउत शरद पवार से मिलने उनके घर पहुंचे। दोनों नेताओं के बीच कॉमन मिनिमम प्रोग्राम को लेकर लंबी चर्चा हुई। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ बैठक में लिये गए फैसलों से शिवसेना मुखिया उद्धव ठाकरे को अवगत कराया।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक एनसीपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि ‘हमारा कॉमन मिनिमम प्रोग्राम आम लोगों, किसानों और बेरोजगारों के लिये बेहतर विकल्प तलाशने पर आधारित है। उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व और सावरकर को भारत रत्न देने की मांग हमारे कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का हिस्सा नहीं है’। एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा कि शुक्रवार 22 नवंबर को शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच शाम 4 बजे बैठक होगी। जिसके बाद एक प्रतिनिधिमंडल राजभवन पहुंचकर सरकार बनाने का दावा पेश करेगा। एक नज़र महाराष्ट्र की राजनीतिक उथल-पुथल पर बीते महीने 21 अक्टूबर को महाराष्ट्र में मतदान ख़त्म होने के बाद 24 अक्टूबर को नतीजे आए। बीजेपी और शिवसेना ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा और मंच साझा किये। बीजेपी 105 सीटें हासिल कर सबसे बड़ी पार्टी बनी। वहीं शिवसेना को 56 सीटें, एनसीपी को 54 सीटें और कांग्रेस के पाले 44 सीटें गईं। 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में सरकार बनाने के लिये बहुमत का आंकड़ा 145 है। महाराष्ट्र में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने पर सरकार बनाने में पेंच फंस गया। शिवसेना ने 50-50 फॉर्मूले की बात छेड़ दी। शिवसेना का दावा है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ढाई-ढाई साल सरकार चलाने का वादा किया था। शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि अमित शाह ने खुद ये वादा किया था कि महाराष्ट्र की कुर्सी गठबंधन की दोनों पार्टियां साझा करेंगी। कुर्सी बंटवारे को लेकर बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन टूट गया। जिसके बाद से शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन में सरकार चलाने की की पेशकश की। कांग्रेस और एनसीपी से मुलाकात के बाद उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्या ठाकरे ने झटपट राजभवन पहुंचकर सरकार बनाने का दावा तो पेश कर दिया लेकिन एनसीपी और कांग्रेस ने हामी नहीं भरी। 8 नवंबर 2019 को महाराष्ट्र विधानसभा का पिछला कार्यकाल ख़त्म होने के बाद तक कोई भी दल ने शिवसेना के साथ मजबूती से खड़ी नहीं हुई। जिसको देखते हुए 12 नवंबर को महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया। यदि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस मिलकर सरकार बनाते हैं तो 154 सीटें होती हैं यानि बहुमत से 9 सीटें ज़्यादा।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक एनसीपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि ‘हमारा कॉमन मिनिमम प्रोग्राम आम लोगों, किसानों और बेरोजगारों के लिये बेहतर विकल्प तलाशने पर आधारित है। उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व और सावरकर को भारत रत्न देने की मांग हमारे कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का हिस्सा नहीं है’। एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा कि शुक्रवार 22 नवंबर को शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच शाम 4 बजे बैठक होगी। जिसके बाद एक प्रतिनिधिमंडल राजभवन पहुंचकर सरकार बनाने का दावा पेश करेगा। एक नज़र महाराष्ट्र की राजनीतिक उथल-पुथल पर बीते महीने 21 अक्टूबर को महाराष्ट्र में मतदान ख़त्म होने के बाद 24 अक्टूबर को नतीजे आए। बीजेपी और शिवसेना ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा और मंच साझा किये। बीजेपी 105 सीटें हासिल कर सबसे बड़ी पार्टी बनी। वहीं शिवसेना को 56 सीटें, एनसीपी को 54 सीटें और कांग्रेस के पाले 44 सीटें गईं। 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में सरकार बनाने के लिये बहुमत का आंकड़ा 145 है। महाराष्ट्र में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने पर सरकार बनाने में पेंच फंस गया। शिवसेना ने 50-50 फॉर्मूले की बात छेड़ दी। शिवसेना का दावा है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ढाई-ढाई साल सरकार चलाने का वादा किया था। शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि अमित शाह ने खुद ये वादा किया था कि महाराष्ट्र की कुर्सी गठबंधन की दोनों पार्टियां साझा करेंगी। कुर्सी बंटवारे को लेकर बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन टूट गया। जिसके बाद से शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन में सरकार चलाने की की पेशकश की। कांग्रेस और एनसीपी से मुलाकात के बाद उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्या ठाकरे ने झटपट राजभवन पहुंचकर सरकार बनाने का दावा तो पेश कर दिया लेकिन एनसीपी और कांग्रेस ने हामी नहीं भरी। 8 नवंबर 2019 को महाराष्ट्र विधानसभा का पिछला कार्यकाल ख़त्म होने के बाद तक कोई भी दल ने शिवसेना के साथ मजबूती से खड़ी नहीं हुई। जिसको देखते हुए 12 नवंबर को महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया। यदि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस मिलकर सरकार बनाते हैं तो 154 सीटें होती हैं यानि बहुमत से 9 सीटें ज़्यादा।
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