विदेशों से कुछ भारतीय आएंगे, बाक़ी लटके रह जाएंगे

by Shahnawaz Malik 3 years ago Views 2584

Some Indians will be evacuated from abroad, others
केंद्र सरकार ने देश के बाहर फंसे लाखों भारतीयों को वापस लाने के लिए एसओपी यानी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर जारी कर दिया है. केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि विदेश से लौटने के लिए उन लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी जो मजबूर हैं और संकट से घिरे हैं. उनमें नौकरी से निकाले जा चुके प्रवासी कामगार और ऐसे लोग भी शामिल हैं जिनका शॉर्ट टर्म वीज़ा एक्सपायर कर गया है. गृह मंत्रालय ने एसओपी में साफ़ किया है कि इमरजेंसी मेडिकल वालों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और परिवार के सदस्य की मौत की वजह से भारत लौटने वाले लोगों और छात्रों को प्राथमिकता दी जाएगी. गृह मंत्रालय ने यह भी साफ किया है कि सभी यात्रियों को ही यात्रा का भाड़ा देना होगा.

विदेश से भारत लौटने वालों को भारतीय दूतावास में रजिस्ट्रेशन कराना होगा जिसके आधार पर विदेश मंत्रालय ऐसे यात्रियों का उड़ान या जहाज के हिसाब से डेटाबेस तैयार करेगा. यह डेटाबेस विदेश मंत्रालय संबंधित राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के साथ पहले ही साझा करेगा.


विदेश मंत्रालय ने राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के लिए अलग-अलग नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिए हैं जो संबंधित राज्यों के नोडल अधिकारियों के साथ तालमेल बिठाएंगे. यात्रा शुरू होने से पहले सभी यात्रियों को यह लिखकर देना होगा कि वे भारत पहुंचने पर अपने खर्च पर क्वारंटाइन में रहेंगे. उन्हें यह भी लिखकर देना होगा कि वे अपनी जोखिम पर यह यात्रा कर रहे हैं.

विमान में सवार होने के वक़्त उनकी थर्मल स्क्रीनिंग होगी जिनमें कोविड-19 के लक्षण नज़र नहीं आएंगे, बस उन्हें ही सवार होने दिया जाएगा. भारत पहुंचने के बाद इन यात्रियों की दोबारा थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी. उनसे अपने मोबाइल पर आरोग्य सेतु मोबाइल एप डाउनलोड करने को कहा जाएगा. जिनमें लक्षण दिखेंगे उन्हें फौरन अस्पताल ले जाया जाएगा. बाकी को 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाएगा जिसका इंतजाम संबंधी राज्य और केंद्रशासित सरकारें करेंगी. 14 दिन बाद जांच में संक्रमण नहीं नज़र आने पर उन्हें घर जाने दिया जाएगा और अगले और 14 दिनों के लिए उन्हें अपने स्वास्थ्य की निगरानी करने को कहा जाएगा.

केंद्र सरकार ने विदेशों से भारतीयों की वापसी वाले इस अभियान को वंदे भारत मिशन नाम दिया है जो 7 मई से शुरू होगा. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए यूएई, सिंगापुर, मालदीव और अमेरिका में भारतीय राजदूतों से बात की है और प्रवासी भारतीयों से अपील की है कि वे भारतीय दूतावास के संपर्क में बने रहें.

पहले हफ्ते में 12 देशों के लिए 64 विशेष उड़ानों की इजाज़त दी गई है. इस दौरान यूएई, सऊदी अरब, कुवैत, क़तर, बहरीन, मालदीव, सिंगापुर और अमेरिका से लोगों को भारत वापस लाया जाएगा. नेवी के जहाज़ मालदीव से लोगों को वापस लाएंगे जहां बड़ी तादाद में भारतीय काम करते हैं.  

केरल के सीएम पिनरई विजयन गृह मंत्रालय के एसओपी से नाख़ुश हैं. उन्होंने कहा कि 7 मई को 2,250 लोग केरल वापस लाए जा रहे हैं. केंद्र सरकार ने केरल के 80,000 लोगों को वापस लाने पर प्रतिबद्धता जताई है लेकिन विदेशों में फंसे 1 लाख 69 हज़ार लोग केरल सरकार की प्राथमिकता में है. 

सीएम पिनरई विजयन ने कोरोना की जांच के बिना लोगों को वापस लाने पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना की जांच किए बिना लोगों को वापस लाने से कोरोना का ख़तरा और बढ़ेगा. उन्होंने मांग की है कि भारत आने वाले लोगों की जांच होनी चाहिए. 

मगर सवाल सिर्फ केरल का नहीं है. खाड़ी देशों में वतन वापसी के लिए सबसे ज़्यादा उथल-पुथल मची है. यहां अब तक तीन लाख लोगों ने भारतीय मिशन में घर वापसी के लिए पंजीकरण कराया है लेकिन खाड़ी देशों में तक़रीबन 84 लाख भारतीय रहते हैं. इनमें बड़ी तादाद मज़दूर तबक़े की है.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक विदेशों में एक करोड़ 34 लाख भारतीय रह रहे हैं. मगर इनमें से 83 लाख 72 हज़ार भारतीय सात इस्लामिक देशों यूनाइटेडट अरब एमिरात, सऊदी अरब, कुवैत, ओमान, क़तर, बहरीन और मलेशिया में रह रहे हैं. विदेश में सबसे ज़्यादा 34 लाख 20 हज़ार भारतीय यूनाइटेड अरब एमिरात में रह रहे हैं. वहीं सऊदी अरब में 25 लाख 94 हज़ार 947,  कुवैत में 10 लाख 29 हज़ार 861, ओमान में 7 लाख 79 हज़ार 351, क़तर में 7 लाख 56 हज़ार 062, बहरीन में 3 लाख 23 हज़ार 292 भारतीय रह रहे हैं.

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