सोनिया गांधी का बीजेपी पर तीखा हमला, कहा- संकट की घड़ी में नफ़रत का वायरस फैला रही है बीजेपी
कोरोनावायरस की महामारी ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है। कारख़ाने बंद हैं, कंपनियां बंद हो रही हैं, बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो रहे हैं और मज़दूर पलायन कर रहे हैं। केंद्र सरकार को केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों का भत्ता तक रोकना पड़ रहा है। इस बीच कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि संकट की इस घड़ी में जब देश को एकजुट होना चाहिए तब सत्ताधारी पार्टी बीजेपी नफ़रत और सांप्रदायिकता का वायरस फैला रही है।
इस बीच कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, “इस महामारी से जंग तभी जीती जा सकती है जब केन्द्र और राज्य सरकारें एक दूसरे का सहयोग बेहतर ढंग से करें। इस लड़ाई में हमें सबसे पहले समस्याओं पर ध्यान देना होगा, इनमें संसाधनों की उपलब्धता सबसे अहम् है। कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन का मूल्यांकन इससे लड़ने की हमारी क्षमताओं पर ही निर्भर करेगा।”
वहीं कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, “एक तो ये चिंता की बात है कि टेस्टिंग पर्याप्त नहीं हो रही है, बल्कि टेस्टिंग किट की क्वॉलिटी भी खराब है। डॉक्टर्स और स्वास्थ्यकर्मियों को पीपीई किट तो मुहैया कराई जा रही है लेकिन इनकी कमियों के साथ-साथ इनकी क्वॉलिटी भी ठीक नहीं है।” सोनिया गांधी ने कहा, “खासकर किसान व खेतिहर मज़दूर, प्रवासी मजदूर और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को इस संकट की घड़ी में ख़ासा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार के पास 3 मई के बाद आगे इस समस्या से निपटने की कोई स्पष्ट रूपरेखा नहीं दिखाई देती। अगर इसके बाद फिर से लॉकडाउन बढ़ाया जाता है तो उसका असर विनाशकारी होगा।” कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभार्थियों तक राशन नहीं पहुंच पा रहा है। देश में 11 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें पीडीएस के तहत राशन मिलना चाहिए लेकिन वो पीडीएस लिस्ट से बाहर हैं। इस संकट की घड़ी में हर महीने परिवार के हर शख्स को 10 किलो अनाज, एक किलो दाल और 500 ग्राम चीनी उपलब्ध कराना हमारी ज़िम्मेदारी है।” वीडियो देखिए उन्होंने कहा, “लॉकडाऊन के पहले चरण में 12 करोड़ नौकरियाँ चली गईं। आर्थिक गतिविधियां रुकने के कारण बेरोजगारी बढ़ सकती है। इस स्थितिसे निपटने के लिए हर परिवार को कम से कम 7,500 रुपये दिया जाना चाहिए।” इसके अलावा सोनिया गांधी ने सरकार से विशेष आर्थिक पैकेज की मांग की है। उन्होंने कहा, “जीडीपी में एक तिहाई हिस्सा एमएसएमई सेक्टर का है और इस सेक्टर से 11 करोड़ लोग जुड़े हैं। इसे बर्बादी से बचाने के लिए विशेष पैकेज का ऐलान बेहद ज़रूरी है।"
वहीं कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, “एक तो ये चिंता की बात है कि टेस्टिंग पर्याप्त नहीं हो रही है, बल्कि टेस्टिंग किट की क्वॉलिटी भी खराब है। डॉक्टर्स और स्वास्थ्यकर्मियों को पीपीई किट तो मुहैया कराई जा रही है लेकिन इनकी कमियों के साथ-साथ इनकी क्वॉलिटी भी ठीक नहीं है।” सोनिया गांधी ने कहा, “खासकर किसान व खेतिहर मज़दूर, प्रवासी मजदूर और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को इस संकट की घड़ी में ख़ासा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार के पास 3 मई के बाद आगे इस समस्या से निपटने की कोई स्पष्ट रूपरेखा नहीं दिखाई देती। अगर इसके बाद फिर से लॉकडाउन बढ़ाया जाता है तो उसका असर विनाशकारी होगा।” कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभार्थियों तक राशन नहीं पहुंच पा रहा है। देश में 11 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें पीडीएस के तहत राशन मिलना चाहिए लेकिन वो पीडीएस लिस्ट से बाहर हैं। इस संकट की घड़ी में हर महीने परिवार के हर शख्स को 10 किलो अनाज, एक किलो दाल और 500 ग्राम चीनी उपलब्ध कराना हमारी ज़िम्मेदारी है।” वीडियो देखिए उन्होंने कहा, “लॉकडाऊन के पहले चरण में 12 करोड़ नौकरियाँ चली गईं। आर्थिक गतिविधियां रुकने के कारण बेरोजगारी बढ़ सकती है। इस स्थितिसे निपटने के लिए हर परिवार को कम से कम 7,500 रुपये दिया जाना चाहिए।” इसके अलावा सोनिया गांधी ने सरकार से विशेष आर्थिक पैकेज की मांग की है। उन्होंने कहा, “जीडीपी में एक तिहाई हिस्सा एमएसएमई सेक्टर का है और इस सेक्टर से 11 करोड़ लोग जुड़े हैं। इसे बर्बादी से बचाने के लिए विशेष पैकेज का ऐलान बेहद ज़रूरी है।"
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