ख़ास रिपोर्ट: समझे पेट्रोल-डीज़ल के दामों में छुपा तेल का खेल
कोरोना महामारी से लड़ते देश में पेट्रोल और डीजल के रोज़ाना बढ़ते दाम एक नई परेशानी बन गए है। हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम रिकॉर्ड निचले स्तर पर है लेकिन फिर भी देश में दाम घटने की बजाए बढ़ रहे है। दरअसल, इसके पीछे है 2 मुख्य वजह है। पहली केंद्र सरकार द्वारा लगने वाली एक्साइज ड्यूटी और दूसरी राज्य सरकार द्वारा तय होने वाला वैट और दोनों में ही कमी ना होने की वजह से पेट्रोल डीजल इतने महंगे हो जाते है।
अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर शोध करने वाली संस्था केयर रेटिंग्स के मुताबिक केंद्र सरकार तेल के असल दाम से दोगुना टैक्स आम आदमी कि जेब से वसूल करती है यानी पूरा 200 फीसदी। अब इसे आसान भाषा में समजिये।
अभी के हिसाब से देखा जाए तो किसी भी पेट्रोल पंप चलाने वाले को पेट्रोल 22 रूपये और डीजल 23 रूपये प्रति लीटर दिया जाता है। फिर इस पर एक्साइज ड्यूटी लगती है जो पेट्रोल के लिए 33 और डीजल के लिए 32 रूपये है। इसके बाद जुड़ती है पेट्रोल पंप मालिक की कमीशन जो पेट्रोल पर 4 रूपये है और डीजल पर 3 रूपये प्रति लीटर है। इसके बाद राज्य सरकार अपना वैट जोड़ती है जो दोनों तरह के ईंधन के लिए फ़िलहाल 18 रूपये प्रति लीटर है। ये सब जुड़ने के बाद तेल की वो कीमत बनती है जो आप और हम अपना गाडी का टैंक भरवाते वक़्त पेट्रोल पंप मालिक को देते है। सोचिये दिल्ली में जो पेट्रोल 80 रूपये 43 पैसे में और डीजल 80 रूपये 78 पैसे मिल रहा है, उसकी असली कीमत कितनी कम होगी। वीडियो देखिए ज़ाहिर है इतना टैक्स लेने से केंद्र सरकार की इससे कमाई भी ज़बरदस्त होती है। सरकारी आंकड़े बताते है केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी से साल 2017-18 में तक़रीबन दो लाख 30 हज़ार करोड़ कमाए जो 2018-19 में दो लाख 14 हज़ार करोड़ और 2019-20 में दो लाख 23 हज़ार करोड़ हो गए है। और अब तो कोरोना महामारी के चलते सरकार की दूसरी सभी तरह की आमदनी बेहद कम हो गई है। ऐसे ही सरकार एक्साइज कम कर आम आदमी को राहत देगी, इसकी संभावना कम ही लगती है।
अभी के हिसाब से देखा जाए तो किसी भी पेट्रोल पंप चलाने वाले को पेट्रोल 22 रूपये और डीजल 23 रूपये प्रति लीटर दिया जाता है। फिर इस पर एक्साइज ड्यूटी लगती है जो पेट्रोल के लिए 33 और डीजल के लिए 32 रूपये है। इसके बाद जुड़ती है पेट्रोल पंप मालिक की कमीशन जो पेट्रोल पर 4 रूपये है और डीजल पर 3 रूपये प्रति लीटर है। इसके बाद राज्य सरकार अपना वैट जोड़ती है जो दोनों तरह के ईंधन के लिए फ़िलहाल 18 रूपये प्रति लीटर है। ये सब जुड़ने के बाद तेल की वो कीमत बनती है जो आप और हम अपना गाडी का टैंक भरवाते वक़्त पेट्रोल पंप मालिक को देते है। सोचिये दिल्ली में जो पेट्रोल 80 रूपये 43 पैसे में और डीजल 80 रूपये 78 पैसे मिल रहा है, उसकी असली कीमत कितनी कम होगी। वीडियो देखिए ज़ाहिर है इतना टैक्स लेने से केंद्र सरकार की इससे कमाई भी ज़बरदस्त होती है। सरकारी आंकड़े बताते है केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी से साल 2017-18 में तक़रीबन दो लाख 30 हज़ार करोड़ कमाए जो 2018-19 में दो लाख 14 हज़ार करोड़ और 2019-20 में दो लाख 23 हज़ार करोड़ हो गए है। और अब तो कोरोना महामारी के चलते सरकार की दूसरी सभी तरह की आमदनी बेहद कम हो गई है। ऐसे ही सरकार एक्साइज कम कर आम आदमी को राहत देगी, इसकी संभावना कम ही लगती है।
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