दलित हिंसा के मामले में यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश और राजस्थान सबसे बदनाम
गुना दलित किसान दंपति के साथ पुलिसिया क्रूरता के मामले ने एक बार फिर देशभर में दलितों के खिलाफ होने वाली हिंसा का मामला गर्म हो गया है. दलितों के ख़िलाफ़ हिंसा देश के तमाम राज्यों में दर्ज होती है लेकिन बिहार, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्य जातिय हिंसा के मामले में ख़ासे बदनाम हैं. इसकी तस्दीक नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों से भी होती है.
एनसीआरबी के मुताबिक आबादी के हिसाब से दलित हिंसा की दर सबसे ज़्यादा 42.6 फीसदी बिहार में है. वहीं 41.9 फीसदी मामलों के साथ मध्यप्रदेश दूसरे नंबर पर और 37.7 फीसदी मामलों के साथ राजस्थान तीसरे नंबर पर है.
आंकड़े बताते हैं कि साल 2018 में दलितों की सबसे ज़्यादा 239 हत्याएं उत्तर प्रदेश में हुई जहां बीजेपी सत्ता में है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं. 87 दलितों की हत्या के साथ मध्य प्रदेश दूसरे और 71 दलितों की हत्या के साथ राजस्थान तीसरे नंबर पर है. सदियों से जातिय हिंसा की मार झेल रहे दलित समुदाय में औरतों की हालत और बदतर है. NCRB के आंकड़े बताते हैं कि साल 2018 में यूपी में 526 दलित महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ. वहीं मध्य प्रदेश में 474 और राजस्थान में 384 दलित महिलाओं को बलात्कार जैसी यौन हिंसा झेलनी पड़ी. हिंसा के इन आंकड़ों के बीच चिंता की बात यह है कि देश में साल दर साल दलित हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक देशभर में 2016 में दलित हिंसा के 40 हज़ार 743 मामले दर्ज हुए थे जो 2018 में बढ़कर 42 हज़ार 748 हो गए. सबसे ज़्यादा बढ़ोतरी बिहार में हुई जहां 2016 में जातिय हिंसा के 5701 मामले दर्ज़ हुए थे और 2018 में यह आंकड़ा 7061 पर पहुंच गया. वहीं महाराष्ट्र में 2016 से 2018 के बीच दलित हिंसा के मामले 1750 से बढ़कर 1974 हो गए. इसी तरह उत्तर प्रदेश में 2016 में 10426 मामले दर्ज़ हुए थे जो 2018 में बढ़कर 11924 हो गए.
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आंकड़े बताते हैं कि साल 2018 में दलितों की सबसे ज़्यादा 239 हत्याएं उत्तर प्रदेश में हुई जहां बीजेपी सत्ता में है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं. 87 दलितों की हत्या के साथ मध्य प्रदेश दूसरे और 71 दलितों की हत्या के साथ राजस्थान तीसरे नंबर पर है. सदियों से जातिय हिंसा की मार झेल रहे दलित समुदाय में औरतों की हालत और बदतर है. NCRB के आंकड़े बताते हैं कि साल 2018 में यूपी में 526 दलित महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ. वहीं मध्य प्रदेश में 474 और राजस्थान में 384 दलित महिलाओं को बलात्कार जैसी यौन हिंसा झेलनी पड़ी. हिंसा के इन आंकड़ों के बीच चिंता की बात यह है कि देश में साल दर साल दलित हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक देशभर में 2016 में दलित हिंसा के 40 हज़ार 743 मामले दर्ज हुए थे जो 2018 में बढ़कर 42 हज़ार 748 हो गए. सबसे ज़्यादा बढ़ोतरी बिहार में हुई जहां 2016 में जातिय हिंसा के 5701 मामले दर्ज़ हुए थे और 2018 में यह आंकड़ा 7061 पर पहुंच गया. वहीं महाराष्ट्र में 2016 से 2018 के बीच दलित हिंसा के मामले 1750 से बढ़कर 1974 हो गए. इसी तरह उत्तर प्रदेश में 2016 में 10426 मामले दर्ज़ हुए थे जो 2018 में बढ़कर 11924 हो गए.
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