देश में हर घंटे एक बेरोजगार ने की आत्महत्या: NCRB
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के नए आंकड़े बताते हैं कि देश में ख़ुदकुशी के मामले बढ़ गए हैं. नए आंकड़ों के मुताबिक देश में हर घंटे एक बेरोज़गार अपनी ज़िंदगी ख़त्म कर रहा है जबकि घरेलू महिलाएं भी अलग-अलग वजहों से बड़ी तादाद में अपनी जान गंवा रही हैं.
एनसीआरबी के नए आंकड़े देश में बढ़ती ख़ुदकुशी की डरावनी तस्वीर पेश कर रहे हैं। 2017 के मुक़ाबले 2018 में देशभर में ख़ुदकुशी के मामलों में 3.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। नए आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में 1 लाख 34 हज़ार 516 लोगों ने देशभर में खुदखुशी की।
इनमें 92 हज़ार 114 पुरुष और 42 हज़ार 391 महिलाएं थीं. ख़ुदकुशी करने वालों में 46 हज़ार 912 लोगों की 18 से 30 आयु वर्ग के थे. सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि 2018 में ख़ुदकुशी करने वालों में 9 हज़ार 431 लोग 18 साल से कम उम्र के थे. पेशे के हिसाब से देखें तो सबसे ज्यादा 22.1 फ़ीसदी दिहाड़ी मज़दूरों ने ख़ुदकुशी की. इसके बाद 17.2 फीसदी घरेलू महिलाएं हैं. अपना कारोबार करने वाले 9.8 फ़ीसदी, बेरोजगार 9.6 फ़ीसदी यानी 10 हज़ार से ज़्यादा, नौकरी करने वाले 8.9 फ़ीसदी, खेती किसानी से जुड़े 7.7 फीसदी और 7.6 फीसदी स्टूडेंट्स ने ख़ुदकुशी की. जान देने वालों में तक़रीबन 66.2 फ़ीसदी लोग ऐसे थे जिनकी सालाना आमदनी एक लाख रुपए से भी कम थी. यानि देश में बढ़ती आत्महत्याओं का ग़रीबी से सीधा संबंध है. ख़ुदकुशी के सबसे ज़्यादा 17 हज़ार 972 मामले महाराष्ट्र में आए. वहीं तमिलनाडु में 13, 896, पश्चिम बंगाल में 13255, मध्य प्रदेश में 11775 और कर्नाटक में 11561 लोगों ने अलग-अलग वजहों से अपनी जान दे दी. इन पांचों राज्यों में ख़ुदकुशी का कुल आंकड़ा 68 हज़ार 459 है. इससे पता चलता है कि ख़ुदकुशी के आधे से ज़्यादा मामले इन्हीं पांच राज्यों में दर्ज किए गए. उत्तर प्रदेश में देश की तकरीबन 17 फीसदी आबादी रहती है लेकिन यहां ख़ुदकुशी के 3.6 फीसदी मामले ही सामने आए. देश में आत्महत्या की राष्ट्रीय दर 10 फीसदी ही है लेकिन अंमान और निकोबार में यह 41 फीसदी, पुडुचेरी में 33.8, सिक्किम में 30.2, छत्तीसगढ़ में 24.7 और केरल में 23.5 फीसदी दर्ज की गई है.
इनमें 92 हज़ार 114 पुरुष और 42 हज़ार 391 महिलाएं थीं. ख़ुदकुशी करने वालों में 46 हज़ार 912 लोगों की 18 से 30 आयु वर्ग के थे. सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि 2018 में ख़ुदकुशी करने वालों में 9 हज़ार 431 लोग 18 साल से कम उम्र के थे. पेशे के हिसाब से देखें तो सबसे ज्यादा 22.1 फ़ीसदी दिहाड़ी मज़दूरों ने ख़ुदकुशी की. इसके बाद 17.2 फीसदी घरेलू महिलाएं हैं. अपना कारोबार करने वाले 9.8 फ़ीसदी, बेरोजगार 9.6 फ़ीसदी यानी 10 हज़ार से ज़्यादा, नौकरी करने वाले 8.9 फ़ीसदी, खेती किसानी से जुड़े 7.7 फीसदी और 7.6 फीसदी स्टूडेंट्स ने ख़ुदकुशी की. जान देने वालों में तक़रीबन 66.2 फ़ीसदी लोग ऐसे थे जिनकी सालाना आमदनी एक लाख रुपए से भी कम थी. यानि देश में बढ़ती आत्महत्याओं का ग़रीबी से सीधा संबंध है. ख़ुदकुशी के सबसे ज़्यादा 17 हज़ार 972 मामले महाराष्ट्र में आए. वहीं तमिलनाडु में 13, 896, पश्चिम बंगाल में 13255, मध्य प्रदेश में 11775 और कर्नाटक में 11561 लोगों ने अलग-अलग वजहों से अपनी जान दे दी. इन पांचों राज्यों में ख़ुदकुशी का कुल आंकड़ा 68 हज़ार 459 है. इससे पता चलता है कि ख़ुदकुशी के आधे से ज़्यादा मामले इन्हीं पांच राज्यों में दर्ज किए गए. उत्तर प्रदेश में देश की तकरीबन 17 फीसदी आबादी रहती है लेकिन यहां ख़ुदकुशी के 3.6 फीसदी मामले ही सामने आए. देश में आत्महत्या की राष्ट्रीय दर 10 फीसदी ही है लेकिन अंमान और निकोबार में यह 41 फीसदी, पुडुचेरी में 33.8, सिक्किम में 30.2, छत्तीसगढ़ में 24.7 और केरल में 23.5 फीसदी दर्ज की गई है.
Latest Videos