सुन्नी वक़्फ बोर्ड के वकील ज़फरयाब जिलानी ने कोर्ट के फैसले का नाराज़गी के साथ सम्मान किया
सुन्नी वक़्फ बोर्ड के वकील ज़फरयाब जिलानी ने कोर्ट के फैसले को नाराजगी के साथ किया स्वीकार
40 दिनों तक लगातार चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि ज़मीन विवाद का फ़ैसला सुना दिया. पांचों न्यायधीशों ने सर्वसम्मति से 2.77 एकड़ की पूरी विवादित ज़मीन हिंदू पक्ष के हवाले करने का आदेश दिया जबकि मुसलमानों को अयोध्या में ही पांच एकड़ ज़मीन देने के लिए कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वो मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने के भीतर ट्रस्ट बनाए. हिंदू पक्ष के वकीलों ने इस फ़ैसले का स्वागत किया है. वहीं सुन्नी वक़्फ बोर्ड के वकील ज़फ़रयाब जिलानी ने फ़ैसले का सम्मान तो किया लेकिन नाराज़गी भी जताई.
वीडियो देखिये एमआईएम सांसद और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस जेएस वर्मा की मशहूर क़िताब का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम ज़रूर है लेकिन अचूक नहीं. हालांकि अभी यह साफ़ नहीं हो पाया है कि मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील करेगा या नहीं.
वीडियो देखिये एमआईएम सांसद और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस जेएस वर्मा की मशहूर क़िताब का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम ज़रूर है लेकिन अचूक नहीं. हालांकि अभी यह साफ़ नहीं हो पाया है कि मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील करेगा या नहीं.
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