सबरीमाला मंदिर पर फ़ैसला टला, अब सात जजों की बेंच सुनवाई करेगी
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री का मामला अटक गया है. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों वाली संविधान पीठ ने इस विवाद से जुड़ी सभी पुनर्विचार याचिकाओं को सात जजों वाले बेंच के पास भेज दिया है. अब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच यह तय करेगी कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री होनी चाहिए या नहीं.
हालांकि संविधान पीठ ने यह फैसला बहुमत से नहीं सुनाया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच जजों वाली पीठ में से तीन न्यायाधीशों ने इस मामले को बड़ी बेंच को भेजा जबकि जस्टिस नरिमन और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इसके ख़िलाफ़ अपना फ़ैसला सुनाया.
इससे पहले 28 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों वाली पीठ ने सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को एंट्री दे दी थी. तब तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने महिलाओं की एंट्री वाला फैसला सुनाया था. हालांकि इस फैसले के बाद केरल में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे और सुप्रीम कोर्ट में 50 से ज़्यादा पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई थीं. फिलहाल सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री बनी रहेगी जब तक सात जजों वाली बेंच अपना फैसला नहीं सुना देती.
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सबरीमाला मंदिर तक़रीबन 800 साल पुराना है. यहां भगवान अयप्पा की पूजा अर्जना होती है. मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी हैं, इसलिए रजस्वला उम्र की महिलाओं यानी 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर यहां हमेशा से पाबंदी रही है. महिला अधिकारों से जुड़े तमाम संगठन इस मान्यता को महिलाओं के ख़िलाफ़ और भेदभावपूर्ण मानते हैं और इसका विरोध कर रहे हैं.
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