कोरोना को टक्कर देने में स्वीडन ने मिसाल क़ायम की, दुनिया में हो रही तारीफ़
कोरोनावायरस की महामारी ने दुनिया के ताक़तवर मुल्क़ों को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया है. इटली, स्पेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे देश इससे बड़े पैमाने पर प्रभावित हुए हैं लेकिन यूरोप का ही एक देश स्वीडन इससे बच निकला है.
जब स्वीडिश सरकार ने लॉकडाउन को लागू नहीं करने का फैसला किया तो उसे काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी. तब अपनी सफ़ाई में स्वीडिश सरकार ने कहा था कि उसे अपने नागरिकों पर भरोसा है कि बिना किसी सरकारी आदेश के वे अपने घरों में ही रहेंगे. साथ ही, इस महामारी से बचने के लिए सोशल डिस्टेन्सिंग समेत तमाम उपाय करेंगे.
स्वीडन में अबतक 21 हज़ार 92 मामले आ चुके हैं और यहां 2,586 लोगों की मौत हुई है. यहां डेथ रेट हर 10 लाख लोगों पर केवल 22 है जोकि ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों से बेहद कम है. यूरोप के अन्य देशों के मुक़ाबले यह दर बेहद कम है. यह आंकड़े बताते हैं कि स्वीडन के नागरिकों ने अपनी सरकार का भरोसा क़ायम रखा और संक्रमण को नहीं फैलने दिया. जिन देशों ने लॉकडाउन लागू किया, उन्हें उसकी आर्थिक कीमत चुकानी पड़ रही है लेकिन स्वीडन ने अपने बॉर्डर खुले रखे, रेस्तरां और बार में लोगों का जुटना जारी रहा, बच्चों के स्कूल बदस्तूर चलते रहे, पब्लिक ट्रांसपोर्ट खुला रहा और लोग पार्कों में भी इकट्ठे होते रहे. यहाँ तक कि सैलून, जिम और कुछ सिनेमा हॉल भी खुले रहे. सिर्फ संग्रहालय और स्पोर्ट्स एक्टिविटी पर रोक थी और मार्च के आख़िर में क्लिनिक भी बंद किए गए थे. वीडियो देखिए इनके उल्लंघन पर कोई जुर्माना भी नहीं था और ना किसी पुलिस ने कभी इसको लेकर कोई कार्रवाई की. तक़रीबन आठ दिन पहले पांच रेस्तरां को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने के आरोप में बंद करवा दिया लेकिन कोई जुर्माना नहीं हुआ. दुनिया में सबसे बेहतरीन मेडिकल सुविधाओं वाले देशो में शामिल स्वीडन की स्वास्थ्य मंत्री लीना हैलेंग्रेन ने बताया कि 250 बेड आईसीयू में अब भी खाली पड़े हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जहां पूरी दुनिया में कई मुल्क कोरोनावायरस के चलते हो रही मौतों के आंकड़े को छुपा रहे हैं, वहीं स्वीडन ने पूरी दुनिया को सच बताते हुए लगभग बिलकुल सही आंकड़ा पेश किया है.
स्वीडन में अबतक 21 हज़ार 92 मामले आ चुके हैं और यहां 2,586 लोगों की मौत हुई है. यहां डेथ रेट हर 10 लाख लोगों पर केवल 22 है जोकि ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों से बेहद कम है. यूरोप के अन्य देशों के मुक़ाबले यह दर बेहद कम है. यह आंकड़े बताते हैं कि स्वीडन के नागरिकों ने अपनी सरकार का भरोसा क़ायम रखा और संक्रमण को नहीं फैलने दिया. जिन देशों ने लॉकडाउन लागू किया, उन्हें उसकी आर्थिक कीमत चुकानी पड़ रही है लेकिन स्वीडन ने अपने बॉर्डर खुले रखे, रेस्तरां और बार में लोगों का जुटना जारी रहा, बच्चों के स्कूल बदस्तूर चलते रहे, पब्लिक ट्रांसपोर्ट खुला रहा और लोग पार्कों में भी इकट्ठे होते रहे. यहाँ तक कि सैलून, जिम और कुछ सिनेमा हॉल भी खुले रहे. सिर्फ संग्रहालय और स्पोर्ट्स एक्टिविटी पर रोक थी और मार्च के आख़िर में क्लिनिक भी बंद किए गए थे. वीडियो देखिए इनके उल्लंघन पर कोई जुर्माना भी नहीं था और ना किसी पुलिस ने कभी इसको लेकर कोई कार्रवाई की. तक़रीबन आठ दिन पहले पांच रेस्तरां को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने के आरोप में बंद करवा दिया लेकिन कोई जुर्माना नहीं हुआ. दुनिया में सबसे बेहतरीन मेडिकल सुविधाओं वाले देशो में शामिल स्वीडन की स्वास्थ्य मंत्री लीना हैलेंग्रेन ने बताया कि 250 बेड आईसीयू में अब भी खाली पड़े हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जहां पूरी दुनिया में कई मुल्क कोरोनावायरस के चलते हो रही मौतों के आंकड़े को छुपा रहे हैं, वहीं स्वीडन ने पूरी दुनिया को सच बताते हुए लगभग बिलकुल सही आंकड़ा पेश किया है.
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