मोदी सरकार में टैक्स का बोझ कॉरपोरेट कंपनियों से ज़्यादा सैलरी वालों पर
सरकार ने हाल ही में ज़ोरशोर से आंकड़े जारी किए थे कि देश में एक करोड़ से ज़्यादा आय वाले लोगों की संख्या 20 फ़ीसदी बढ़कर 97 हज़ार से ज़्यादा हो गई है. यानी आर्थिक मंदी के बावजूद लोगों की टैक्स देने की क्षमता बढ़ रही है. लेकिन इन्हीं आंकड़ों में ये सच भी सामने आता है कि देश में सबसे ज़्यादा टैक्स का बोझ वेतन पाने वाले लोग उठाते हैं. कंपनियां नहीं जिन्हें हाल ही में भारी टैक्स रियायत दी गई है.
इनकम टैक्स विभाग के आंकड़ों के मुताबिक सैलरीड क्लास ने 2018-19 में 20 लाख 4 हज़ार करोड़ से ज़्यादा की आय दिखाई जो पिछले साल से 25.6 फ़ीसदी ज़्यादा है. वहीं देश की सभी कंपनियों ने मिलकर 16 लाख 37 हज़ार करोड़ की आय दिखाई जो पिछले साल से सिर्फ 14 फ़ीसदी ज़्यादा है.
इसमें भी कंपनियों ने एक लाख 63 हज़ार करोड़ का घाटा दिखाया और सिर्फ 13 लाख 34 हज़ार करोड़ पर टैक्स दिया. सरकार को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस से भी बड़ा फायदा हुआ है जिसमें एक साल में 53 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इन आंकड़ों से साफ है कि सरकार वेतनभोगी लोगों से कुल टैक्स का बड़ा हिस्सा लेती है जबकि टैक्सों में इस साल सबसे ज़्यादा छूट कंपनियों को दी गई है.
इसमें भी कंपनियों ने एक लाख 63 हज़ार करोड़ का घाटा दिखाया और सिर्फ 13 लाख 34 हज़ार करोड़ पर टैक्स दिया. सरकार को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस से भी बड़ा फायदा हुआ है जिसमें एक साल में 53 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इन आंकड़ों से साफ है कि सरकार वेतनभोगी लोगों से कुल टैक्स का बड़ा हिस्सा लेती है जबकि टैक्सों में इस साल सबसे ज़्यादा छूट कंपनियों को दी गई है.
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