अर्थव्यवस्था की कमर टूटी, निर्यात 10.36 बिलियन डॉलर तक सिमटा
दुनियाभर में जारी लॉकडाउन से कारोबारी हलचल लगभग ख़त्म हो गई है. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि देश में निर्यात 60 फीसदी से ज्यादा गिरकर 10.36 बिलियन डॉलर तक आ गया है. हालांकि ये आंकड़े बहुत नहीं चौंकाते क्योंकि अर्थव्यवस्था की रफ़्तार कोरोनाकाल से पहले ही सुस्त हो गई थी.
निर्यात के साथ-साथ आयात भी ज़बरदस्त तरीके से सिकुड़ गया है. पिछले साल अप्रैल में सरकार ने 41.4 बिलियन डॉलर की क़ीमत वाले सामानों का आयात किया था जो इस साल अप्रैल में 59 फीसदी घटकर 17.12 बिलियन डॉलर पर सिमट गया है.
जिन सेक्टरों में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज़ हुई, उनमें गहने और रत्न में -98.74 फ़ीसदी, चमड़े के उत्पादों में -93.28 फ़ीसदी, हैंडीक्राफ्ट्स में -91.84 फ़ीसदी, जूट में 90.61 फ़ीसदी और हैंडलूम प्रॉडक्ट्स में -82.46 फ़ीसदी शामिल हैं. इन आंकड़ों से साफ है कि इन सेक्टरों की कमर बुरी तरह टूट चुकी है. इन हालात के लिए सिर्फ कोरोना की महामारी को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि अर्थव्यवस्था के बुरे दिन पहले से ही चल रहे थे. मार्च के महीने में निर्यात 34.57 फीसदी नीचे गिर गए थे. हालत इतनी ख़राब थी कि लगातार सात महीने तक निर्यात में गिरावट के बाद फरवरी में बढ़ोतरी हुई थी. वो भी सिर्फ 2.91 फीसदी. अर्थव्यवस्था के लिए साल 2019 किसी बुरे सपने जैसा साबित रहा जहां जीडीपी की रफ़्तार 5 फ़ीसदी से नीचे चली गयी थी और बेरोज़गारी अपने चरम पर थी. तब चौतरफ़ा हमलों का सामना कर रही सरकार ने कहा था कि यह मंदी शार्ट-टर्म है लेकिन नए आंकड़े बताते हैं कि अर्थव्यवस्था ज़बरदस्त मंदी की गिरफ्त में है और सरकार कोरोना की आड़ में अपनी नाकामी नहीं छिपा सकती.
Also Read:
जिन सेक्टरों में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज़ हुई, उनमें गहने और रत्न में -98.74 फ़ीसदी, चमड़े के उत्पादों में -93.28 फ़ीसदी, हैंडीक्राफ्ट्स में -91.84 फ़ीसदी, जूट में 90.61 फ़ीसदी और हैंडलूम प्रॉडक्ट्स में -82.46 फ़ीसदी शामिल हैं. इन आंकड़ों से साफ है कि इन सेक्टरों की कमर बुरी तरह टूट चुकी है. इन हालात के लिए सिर्फ कोरोना की महामारी को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि अर्थव्यवस्था के बुरे दिन पहले से ही चल रहे थे. मार्च के महीने में निर्यात 34.57 फीसदी नीचे गिर गए थे. हालत इतनी ख़राब थी कि लगातार सात महीने तक निर्यात में गिरावट के बाद फरवरी में बढ़ोतरी हुई थी. वो भी सिर्फ 2.91 फीसदी. अर्थव्यवस्था के लिए साल 2019 किसी बुरे सपने जैसा साबित रहा जहां जीडीपी की रफ़्तार 5 फ़ीसदी से नीचे चली गयी थी और बेरोज़गारी अपने चरम पर थी. तब चौतरफ़ा हमलों का सामना कर रही सरकार ने कहा था कि यह मंदी शार्ट-टर्म है लेकिन नए आंकड़े बताते हैं कि अर्थव्यवस्था ज़बरदस्त मंदी की गिरफ्त में है और सरकार कोरोना की आड़ में अपनी नाकामी नहीं छिपा सकती.
Latest Videos