आर्थिक मंदी का असर बिजली उत्पादन पर, लगभग आधा हुआ
आर्थिक मंदी के दौर में भारत में बिजली की खपत लगातार कम हो रही है और इसका एक नया उदहारण है कि बिजलीघर अपनी क्षमता से आधे पर चल रहें हैं. ऊर्जा मंत्रालय की ताज़ा रिपोर्ट से मालूम पड़ता है कि कोयले से चलने वाले बिजलीघरों में पिछले दस महीने में लोड फैक्टर 10 फीसदी कम हुआ है. पिछले दस साल में सभी तरह के बिजलीघरों की क्षमता में लगातार गिरावट आ रही है.
जनवरी से अक्टूबर तक कोयले से चलने वाले बिजलीघरों में क्षमता से 10 फीसदी कम बिजली का उत्पादन हो रहा है. ये पिछले साल के मुक़ाबले काफी कम है क्योंकि बिजली की मांग काम हुई है और उत्पादन में भारी कमी देखी जा सकती है. इस साल जनवरी में प्लांट लोड फैक्टर 60.5 फीसदी था जो सितम्बर तक घट कर 51 फीसदी रह गया अक्टूबर में ये 50 फीसदी से भी कम हो गया है. इसके विपरीत साल 2018 में लोड फैक्टर 62 फीसदी से सिर्फ तीन फीसदी गिरा था. इस दौरान औद्योगिक उत्पादन में चार फीसदी से भी कम की बढ़ोतरी हुई है जो साफ संकेत देता है कि देश मंदी के चगुल में है. अगर पिछले 10 साल के आंकड़े देखे जाएँ तो ये गिरावट लगातार दिखाई दे रही है. ये भी पढ़ें- प्रति व्यक्ति बिजली खपत की वृद्धि दर 10 साल के सबसे निचले स्तर पर सभी तरह के बिजलीघर जैसे परमाणु, सौर और वायु मिला कर भी देखे जाएँ तो वो अपनी क्षमता का सिर्फ 73 फीसदी उत्पादन कर रहे हैं. 2011 में रिकॉर्ड स्तर पर 84 फीसदी बिजली उत्पादन हुआ था उसस्के बाद से लगातार गिरावट जारी है. अगर दस साल का औसत देखा जाए तो बिजलीघर अपनी क्षमता के 77 फीसदी पर चलते थे जो अब घटकर 72 फीसदी से भी नीचे है. ये आंकड़े रिज़र्व बैंक ने इकठ्ठा किये हैं. वीडियो देखिये सरकार अर्थव्यवस्था के दुरुस्त होने के कितने भी दावे कर लें उसके ऊर्जा विभाग के आँकड़े बताते हैं कि उद्योगों में ऊर्जा की खपत कम है और प्रति व्यक्ति ऊर्जा की विकास दर लगातार कम हो रही है.
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जनवरी से अक्टूबर तक कोयले से चलने वाले बिजलीघरों में क्षमता से 10 फीसदी कम बिजली का उत्पादन हो रहा है. ये पिछले साल के मुक़ाबले काफी कम है क्योंकि बिजली की मांग काम हुई है और उत्पादन में भारी कमी देखी जा सकती है. इस साल जनवरी में प्लांट लोड फैक्टर 60.5 फीसदी था जो सितम्बर तक घट कर 51 फीसदी रह गया अक्टूबर में ये 50 फीसदी से भी कम हो गया है. इसके विपरीत साल 2018 में लोड फैक्टर 62 फीसदी से सिर्फ तीन फीसदी गिरा था. इस दौरान औद्योगिक उत्पादन में चार फीसदी से भी कम की बढ़ोतरी हुई है जो साफ संकेत देता है कि देश मंदी के चगुल में है. अगर पिछले 10 साल के आंकड़े देखे जाएँ तो ये गिरावट लगातार दिखाई दे रही है. ये भी पढ़ें- प्रति व्यक्ति बिजली खपत की वृद्धि दर 10 साल के सबसे निचले स्तर पर सभी तरह के बिजलीघर जैसे परमाणु, सौर और वायु मिला कर भी देखे जाएँ तो वो अपनी क्षमता का सिर्फ 73 फीसदी उत्पादन कर रहे हैं. 2011 में रिकॉर्ड स्तर पर 84 फीसदी बिजली उत्पादन हुआ था उसस्के बाद से लगातार गिरावट जारी है. अगर दस साल का औसत देखा जाए तो बिजलीघर अपनी क्षमता के 77 फीसदी पर चलते थे जो अब घटकर 72 फीसदी से भी नीचे है. ये आंकड़े रिज़र्व बैंक ने इकठ्ठा किये हैं. वीडियो देखिये सरकार अर्थव्यवस्था के दुरुस्त होने के कितने भी दावे कर लें उसके ऊर्जा विभाग के आँकड़े बताते हैं कि उद्योगों में ऊर्जा की खपत कम है और प्रति व्यक्ति ऊर्जा की विकास दर लगातार कम हो रही है.
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