बच्ची को लेकर भिवंडी से जौनपुर के लिए निकली मां, नौ दिन बाद भोपाल पहुंची
लॉकडाउन ने उन लाखों मज़दूरों के अरमानों पर बुलडोज़र चला दिया है जो बेहतर ज़िंदगी का सपना लेकर अपने गावों से चमक-दमक वाले महानगरों में पहुंचे थे. अचानक आई इस मुसीबत में मज़दूर इस क़दर बेसहारा महसूस कर रहे हैं कि सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घरों के लिए पैदल निकलने को मजबूर हैं. घर गृहस्थी का सामान और बच्चे भी साथ हैं. सफ़र लंबा है लेकिन गांव तक पहुंचने की उम्मीद में चले जा रहे हैं.
बालकृष्ण तिवारी भिवंडी में लूम चलाते थे लेकिन इनके गुजराती मालिक ने लॉकडाउन में मुंह फेर लिया. बीते नौ दिनों से बीवी और दो बच्चों के साथ पैदल चले जा रहे हैं. उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में यूपी के जौनपुर में अपने गांव पहुंच जाएंगे.
वीडियो देखिये बाल कृष्ण के मुताबिक उनकी जमापूंजी ख़त्म हो गई तो भिवंडी से घर के लिए निकलने के अलावा कोई चारा नहीं था. बाल कृष्ण की पत्नी के पांव में पड़े छाले पड़ गए हैं लेकिन इस लॉकडाउन में उनकी मरहम पट्टी भी हो गई. तक़रीबन नौ दिन चलने के बाद भोपाल में बाल कृष्ण के परिवार को एक ट्रक मिल गया है. उनके जैसे सैकड़ों प्रवासी मज़दूरों ट्रक में बैठकर आगे के सफ़र के लिए निकल दिए हैं.
वीडियो देखिये बाल कृष्ण के मुताबिक उनकी जमापूंजी ख़त्म हो गई तो भिवंडी से घर के लिए निकलने के अलावा कोई चारा नहीं था. बाल कृष्ण की पत्नी के पांव में पड़े छाले पड़ गए हैं लेकिन इस लॉकडाउन में उनकी मरहम पट्टी भी हो गई. तक़रीबन नौ दिन चलने के बाद भोपाल में बाल कृष्ण के परिवार को एक ट्रक मिल गया है. उनके जैसे सैकड़ों प्रवासी मज़दूरों ट्रक में बैठकर आगे के सफ़र के लिए निकल दिए हैं.
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