ईमेल के लीक होने पर सामने आया यूरोपीय यूनियन के कश्मीर दौरे का सच
यूरोपीय यूनियन का प्रतिनिधिमंडल कश्मीर दौरे पर है, लेकिन इस दौरे में एक नया मोड़ सामने आया है। दरअसल यूरोपीय यूनियन का ये डेलिगेशन सरकार की सोची-समझी रणनीति बताई जा रही है। इस डेलिगेशन के दौरे को लेकर सामने आ रहा है कि मादी ग्रूप की हेड मादी शर्मा ने इस अनौपचारिक दौरा तय किया है। जानकारी के मुताबिक मादी ग्रूप कई अंतराष्ट्रीय प्राइवेट सेक्टर और एनजीओ का एक नेटवर्क है।
बताया जा रहा है कि एक ईमेल के लीक होने के बाद इन तथ्यों का पर्दाफाश हो रहा है। 7 अक्टूबर को मादी शर्मा ने यूरोपीय सांसदों को ईमेल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वीआईपी मुलाकात और कश्मीर ले जाने का वादा करती हैं। ईमेल में तय किया गया था कि 28 अक्टूबर को डेलिगेशन की मुलाकात पीएम मोदी से करवाने के बाद 29 अक्टूबर को कश्मीर ले जाया जाएगा। डेलिगेशन का कश्मीर में दौरा करने के बाद उनके प्रेस कांफ्रेंस की तारीख 30 अक्टूबर तय की गई थी और 30 अक्टूबर की ही रात को उनके वापस जाने का बंदोबस्त किया जाएगा।
मादी शर्मा के ट्विटर हैंडल से पता चलता है कि वो सोशल कैपिटलिस्ट और एक अंतराष्ट्रीय बिजनेस ब्रोकर हैं। लीक हुई ईमेल में उन्होंने लिखा है कि वो Women’s Economic and Social Think Tank नाम से एक एनजीओ चलाती हैं। जो यूरोपीय संसद के साथ-साथ सरकारी और गैर सरकारी तौर पर महिला सशक्तिकरण के लिये काम करती है। ईमेल के लीक होने के बाद अनौपचारिक कश्मीर दौर पर आए डेलिगेशन के साथ-साथ सरकार की भी किड़-कीड़ी हो रही है। बताया जा रहा है कि कश्मीर दौर पर गए यूरोपीय सांसदों में से ज़्यादातर सांसद दक्षिणपंथी पार्टी से हैं। 27 सांसदों के प्रतिनिधिमंडल में केवल तीन सांसद ही लेफ्ट या लिबरल पार्टी से ताल्लुक रखते हैं। कश्मीर दौरे पर गए इन सांसदों ने तय प्लान के मुताबिक मीडिया से बात की और और कहा, ‘हम स्थाई शांती और आतंक को खत्म करने के भारत सरकार के फैसले का समर्थन करते हैं। प्रितिनिधिमंडल में शामिल एक सांसद ने कहा कि, ‘ अच्छा दौरा है और हम कश्मीर में स्थिति जानने के लिये आए हैं. यहां ज़मीनी हालात का अनुभव हुआ और हमें यहां स्थानीय लोगों से बात-चीत करके अच्छा लगा। ये भी देखें इसी बीच संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद यानि UNHRC के प्रवक्ता Rupert Colville ने कश्मीर में भारत सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदियों पर चिंता ज़ाहिर की है। UNHRC के प्रवक्ता ने कहा कि कश्मीर में लोगों के मानवाधिकार का उल्लंघन हो रहा है। उन्होंने भारत सरकार से अपील की है कि कश्मीर में लगी पाबंदियों को समाप्त करे और घाटी में शांती बहाल करे।
मादी शर्मा के ट्विटर हैंडल से पता चलता है कि वो सोशल कैपिटलिस्ट और एक अंतराष्ट्रीय बिजनेस ब्रोकर हैं। लीक हुई ईमेल में उन्होंने लिखा है कि वो Women’s Economic and Social Think Tank नाम से एक एनजीओ चलाती हैं। जो यूरोपीय संसद के साथ-साथ सरकारी और गैर सरकारी तौर पर महिला सशक्तिकरण के लिये काम करती है। ईमेल के लीक होने के बाद अनौपचारिक कश्मीर दौर पर आए डेलिगेशन के साथ-साथ सरकार की भी किड़-कीड़ी हो रही है। बताया जा रहा है कि कश्मीर दौर पर गए यूरोपीय सांसदों में से ज़्यादातर सांसद दक्षिणपंथी पार्टी से हैं। 27 सांसदों के प्रतिनिधिमंडल में केवल तीन सांसद ही लेफ्ट या लिबरल पार्टी से ताल्लुक रखते हैं। कश्मीर दौरे पर गए इन सांसदों ने तय प्लान के मुताबिक मीडिया से बात की और और कहा, ‘हम स्थाई शांती और आतंक को खत्म करने के भारत सरकार के फैसले का समर्थन करते हैं। प्रितिनिधिमंडल में शामिल एक सांसद ने कहा कि, ‘ अच्छा दौरा है और हम कश्मीर में स्थिति जानने के लिये आए हैं. यहां ज़मीनी हालात का अनुभव हुआ और हमें यहां स्थानीय लोगों से बात-चीत करके अच्छा लगा। ये भी देखें इसी बीच संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद यानि UNHRC के प्रवक्ता Rupert Colville ने कश्मीर में भारत सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदियों पर चिंता ज़ाहिर की है। UNHRC के प्रवक्ता ने कहा कि कश्मीर में लोगों के मानवाधिकार का उल्लंघन हो रहा है। उन्होंने भारत सरकार से अपील की है कि कश्मीर में लगी पाबंदियों को समाप्त करे और घाटी में शांती बहाल करे।
"We are extremely concerned that the population of Indian-Administered #Kashmir continues to be deprived of a wide range of human rights and we urge the Indian authorities to unlock the situation and fully restore the rights that are currently being denied," -- @UNHumanRights pic.twitter.com/GQYF6Jqroi
— UN Geneva (@UNGeneva) October 29, 2019
Latest Videos