विश्व आर्थिक मंच: दुनिया में तेज़ी से बढ़ रही डिजिटल मीडिया की ख़पत

by Abhishek Kaushik 3 years ago Views 2308

The world of digital media and dependency!
पूरे विश्व में डिजिटल मीडिया की ख़पत बढ़ती जा रही है। बड़े पैमाने पर लोग डिजिटल माध्यम से जुड़े है फिर चाहे वो मनोरंजन, ख़बर, खेल, सूचना, व्यापार या शिक्षा हो। आज की इस नई दुनिया में मीडिया लोगों के जीवन का एक अहम हिस्सा बन चूका है, जिसके बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है। 

दुनिया में डिजिटल मीडिया की ख़पत के आंकड़े:- 

  • पूरे विश्व की 96 प्रतिशत आबादी किसी ना किसी माध्यम से डिजिटल मीडिया की खपत करती है, जैसे न्यूज़, फिल्म, शिक्षा इत्यादि।
  • एक हफ्ते में हर उपभोक्ता औसतन 23 घंटे और 6 मिनट तक डिजिटल मीडिया सामग्री यानी कंटेंट खपाता है।
  • वैश्विक उपभोक्ताओं में से 60 फीसदी ऐसे है जो किसी ना किसी डिजिटल मीडिया के सब्सक्रिप्शन पर है।
  • वैश्विक उपभोक्ताओं में से 16 फीसदी ऐसे है जो पैसे खर्च कर न्यूज़ की खपत करते है, वहीं मनोरंजन के लिए ये आंकड़ा 44 फीसदी है।

यानी कुल मिलाकर कहा जाए तो विश्व का एक बड़ा हिस्सा डिजिटल मीडिया से जुड़ा हुआ है। वहीं इसमें सबसे बड़ी भूमिका है मीडिया कंटेंट यानी उपभोक्ता को पेश की जाने वाली सामग्री की। शोधकर्ताओं के हिसाब से यही सामग्री किसी भी समाज के विकास की सबसे बड़ी भागीदार है।

वहीं बात अगर अपने देश की करें तो ये देखने को मिलता है की भारत में सबसे ज्यादा ख़पत न्यूज़ की होती है जो देश के उपभोगताओं की कुल संख्या का 38 फीसदी हिस्सा है। 

दूसरा नंबर पर आता है वीडियो मीडिया जो कुल उपभोक्ताओं का 32 फीसदी हिस्सा लेता है। इसके बाद तीसरा नंबर है म्यूजिक और रेडियो का जो वीडियो मीडिया जितना यानी 32 फीसदी है।

भारत में चौथे नंबर पर लोग खेल से जुड़े डिजिटल मीडिया की ख़पत करते है जो 19 फीसदी की भागेदारी पर है। इसके बाद आता है गेमिंग मीडिया जो बच्चो और युवाओं के द्वारा सबसे ज्यादा खपाया जाता है, इसकी हिस्सेदारी 17 फीसदी की है।

और अंत में आते है सबसे कम हिस्सेदारी रखने वाले मीडिया के दो माध्यम, जो पॉडकास्ट और ब्लोग्स है। इन दोनों की हिस्सेदारी 6-6 फीसदी की है।

कुल मिलाकर सारे आंकड़ों को देखने के बाद पता चलता है की भारत में सबसे ज्यादा ख़पत न्यूज़ की होती है। वहीं कुछ शोधकर्ताओं की माने तो भारत फेक न्यूज़ या तोड़ मरोड़ कर पेश की जाने वाली ख़बर के मामले में काफी आगे है और इस तरह की ख़बरों से देश में लोगों का इतना गैर सूचित या गलत तरह से सूचित होना आम बात है। यदि ऐसे हालातों में मीडिया सही ख़बर को महत्व नहीं देगी, तो उपभोक्ता मीडिया को क्यों महत्व देंगे ?

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