बिन गाड़ी, टेलीफोन और वायरलेस के ही चल रहे देश के सैकड़ों पुलिस थाने
देश की क़ानून व्यवस्था में सुधार होने की बजाय स्थिति बिगड़ती जा रही है. ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च डेवलेपमेंट के नए आंकड़े बताते हैं कि देश में ऐसे भी पुलिस थाने हैं जहां ना तो गश्त के लिए गाड़ियां है और ना ही टेलीफोन-वायरलेस जैसे सुविधा है. ऐसे में अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है कि देश में कानून व्यवस्था इतनी चौपट क्यों है.
देश में क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस का सभी ज़रूरी सुविधाओं से लैस होना बेहद ज़रूरी है लेकिन सरकारी आंकड़े पुलिस की ग़ुरबत की कहानी बयां कर रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि अलग-अलग राज्यों में कुल 16 हज़ार 587 पुलिस थाने हैं लेकिन सैकड़ों पुलिस थानों को चलाने के लिए ज़रूरी सुविधाएं नहीं हैं.
ब्यूरो ऑफ़ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट के आंकड़ों के मुताबिक देश में 85 ऐसे थाने हैं जहां एक भी सरकारी गाड़ी नहीं है। इनमें सबसे ज़्यादा 37 थाने ओडिशा में हैं जिनके पास इलाकों में गश्त करने और जांच करने जैसे दूसरे कामों के लिए गाड़ी ही नहीं है। इसी तरह असम में 15, मेघालय में 13 और पंजाब में 12 थानों के पास अपनी कोई गाड़ी नहीं है. वीडियो देखिये इसके अलावा देश में 539 पुलिस थाने ऐसे हैं जहां टेलीफोन जैसी मूलभूत सुविधा तक नहीं है। ऐसे सबसे ज़्यादा 140 थाने असम में हैं जबकि पंजाब में 67, मणिपुर में 59, अरुणाचल प्रदेश में 58, मेघालय में 57 और तमिलनाडु में 50 थानों में सरकारी फोन नहीं है। सबसे बड़ा सवाल है कि जब थाने में फोन तक नहीं है तो पुलिसकर्मी जनता और अपने सहकर्मियों के साथ संपर्क कैसे बनाते होंगे। इसी तरह 200 थाने ऐसे हैं जहां वायरलेस और मोबाइल फ़ोन भी नहीं है। इस मामले में सबसे ऊपर मध्य प्रदेश है जहां 59 थानों में वायरलेस और मोबाइल फ़ोन नहीं है। तमिलनाडु में 55, मणिपुर में 25, पंजाब में 18 और नागालैंड में 14 थानों में वायरलेस और मोबाइल फ़ोन नहीं है। अब आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि ऐसे थानों के अंतर्गत आने वाले इलाक़ों में क़ानून व्यवस्था का क्या हाल होगा।
देश में क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस का सभी ज़रूरी सुविधाओं से लैस होना बेहद ज़रूरी है लेकिन सरकारी आंकड़े पुलिस की ग़ुरबत की कहानी बयां कर रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि अलग-अलग राज्यों में कुल 16 हज़ार 587 पुलिस थाने हैं लेकिन सैकड़ों पुलिस थानों को चलाने के लिए ज़रूरी सुविधाएं नहीं हैं.
ब्यूरो ऑफ़ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट के आंकड़ों के मुताबिक देश में 85 ऐसे थाने हैं जहां एक भी सरकारी गाड़ी नहीं है। इनमें सबसे ज़्यादा 37 थाने ओडिशा में हैं जिनके पास इलाकों में गश्त करने और जांच करने जैसे दूसरे कामों के लिए गाड़ी ही नहीं है। इसी तरह असम में 15, मेघालय में 13 और पंजाब में 12 थानों के पास अपनी कोई गाड़ी नहीं है. वीडियो देखिये इसके अलावा देश में 539 पुलिस थाने ऐसे हैं जहां टेलीफोन जैसी मूलभूत सुविधा तक नहीं है। ऐसे सबसे ज़्यादा 140 थाने असम में हैं जबकि पंजाब में 67, मणिपुर में 59, अरुणाचल प्रदेश में 58, मेघालय में 57 और तमिलनाडु में 50 थानों में सरकारी फोन नहीं है। सबसे बड़ा सवाल है कि जब थाने में फोन तक नहीं है तो पुलिसकर्मी जनता और अपने सहकर्मियों के साथ संपर्क कैसे बनाते होंगे। इसी तरह 200 थाने ऐसे हैं जहां वायरलेस और मोबाइल फ़ोन भी नहीं है। इस मामले में सबसे ऊपर मध्य प्रदेश है जहां 59 थानों में वायरलेस और मोबाइल फ़ोन नहीं है। तमिलनाडु में 55, मणिपुर में 25, पंजाब में 18 और नागालैंड में 14 थानों में वायरलेस और मोबाइल फ़ोन नहीं है। अब आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि ऐसे थानों के अंतर्गत आने वाले इलाक़ों में क़ानून व्यवस्था का क्या हाल होगा।
Latest Videos