NRC और NPR की सच्चाई, 'सरकारी वेबसाइट की ज़ुबानी'

by M. Nuruddin 4 years ago Views 2919

Truth of NPR and NRC, official website was spoken
देशभर में संशोधित नागरिकता क़ानून और एनआरसी को लेकर विरोध उठ खड़ा है। इस बीच कैबिनेट ने मंगलवार को एनपीआर को मंज़ूरी दे दी है। एनपीआर के तहत देश के सभी नागरिकों का कॉम्प्रिहेंसिव डेटाबेस यानि व्यापक पहचान तैयार की जाएगी। सरकार ने इसके लिये 8,754 करोड़ रूपये का आवंटन किया है। कैबिनेट की मंज़ूरी मिलने के साथ ही एनपीआर को लेकर भी विरोध शुरू हो गया है।

मंगलवार को केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर के लिये किसी भी प्रकार के काग़ज़ात की ज़रूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि एनपीआर के तहत सरकारी योजाओं का लाभ सही लाभार्थियों तक पहुंचे ये इसका मुख्य उद्देश्य है।


प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सेल्फ सर्टिफिकेशन है, कोई प्रूफ नहीं मांगा जा रहा है, कोई डॉक्यूमेंट्स नहीं मांगा जा रहा है। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड में बायोमेट्रिक होता है लेकिन एनपीआर में कोई बायोमेट्रिक पहचान नहीं ली जाएगी। लेकिन CensusIndia की वेबसाइट पर साफ कहा गया है कि एनपीआर में डेमोग्राफिक और बायोमेट्रिक दोनों पहचान देनी होंगी।

नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर को लेकर एआईएमआईएम के चीफ असददुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा की नागरिकता क़ानून के तहत ही एनपीआर होगा। उन्होंने कहा कि एनपीआर, एनआरसी की दिशा में पहला क़दम है। असददुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया है कि ये बात सरकार के बयानों में झलकती हैं. न्यूज़ एजेंसी एएनआई को दिये इंटरव्यू में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि एनपीआर की एनआरसी की प्रक्रिया से कोई लेना-देना नहीं है। जबकि इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अपने पहले कार्यकाल में सरकार ने कम से कम नौ बार इस बात का ज़िक्र किया कि एनपीआर, एनआरसी बनाने की ही एक कड़ी है।

उधर गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि एनपीआर और एनआरसी के बीच में कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि एनपीआर जनसंख्या का रजिस्टर है। देश में जो भी रहते हैं उन सबका नाम इसमें शामिल होगा। अमित शाह ने कहा कि एनपीआर के डेटा का एनआरसी के लिये कभी इस्तेमाल नहीं होगा। उन्होंने दोनों क़ानून को अलग बताया है। लेकिन गृह मंत्रालय की पिछले पांच सालों की रिपोर्ट अमित शाह के इस बयान को ख़ारिज करती है। साल 2014 से लेकर 2018-19 तक की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि एनपीआर, एनआरसी की दिशा में पहला क़दम है।

सरकार की एनआरआईसी वेबसाइट पर यह सभी तथ्य देखे जा सकते हैं। तो सरकार या तो अपने बयानों में तथ्य छुपा रही है या उन्हें अपनी सरकारी वेबसाइट के बारे में पूरी जानकारी नहीं है।

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