राजनीतिक विज्ञापनों को बंद करने का Twitter ने लिया फैसला, नेता नहीं फैला सकेंगे अपना प्रोपगेंडा
माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट Twitter पर राजनीतिक दल अब विज्ञापनों के ज़रिए अपना प्रोपगंडा नहीं फैला सकेंगे. ट्वीटर के CEO Jack Dorsey ने ऐलान किया है कि इस लेटफार्म पर राजनीतिक विज्ञापन नहीं लग सकेंगे. ट्वीटर की नई एटवर्टिज़मेंट पॉलिसी 22 नवंबर से लागू होगी.
उन्होंने ट्वीट किया, 'हमने फ़ैसला किया है कि अब ट्विटर पर राजनीतिक विज्ञापन नहीं लगाएंगे. हमारा विश्वास है कि राजनीतिक संदेश कमाया जाना चाहिए न कि इसे ख़रीदा जाना चाहिए क्योंकि इसकी कुछ वजहें हैं.'
इंटरनेट के विज्ञापन कमर्शल एडवरटाइज़र्स के लिए बेहद शानदार और कारगर होते हैं लेकिन इंटरनेट के यही विज्ञापन राजनीतिक विज्ञापनों में जोखिम पैदा करते हैं. इंटरनेट पर राजनीतिक विज्ञापन मतदाताओं को गुमराह कर सकते हैं जिसका असर लाखों ज़िंदगियों पर पड़ सकता है. Twitter के मुताबिक 2018 में हुए US Midterm Elections में पॉलिटिकल विज्ञापनों के ज़रिए 3 Million Dollar की कमाई हुई थी। वहीं भारत में 2019 के आमचुनाव में तक़रीबन 5000 Crore रुपये Social Media के विज्ञापनों पर खर्च किये गए थे. ट्विटर का यह फ़ैसला दुनियाभर में उन राजनीतिक दलों के लिए बड़ा झटका है जो सोशल मीडिया के ज़रिए वोटरों को गुमराह करके चुनाव जीतने में यक़ीन रखते हैं. वीडियो देखिये वोटरों को रिझाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कमोबेश सभी दल करते हैं लेकिन प्रोपगंडा फ़ैलाने में दक्षिणपंथी विचारधारा के दल बदनाम हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के चुनाव प्रचार के मैनेजर ब्रेड पास्कल ने इसे ट्रंप और कंज़रवेटिव्स को ख़ामोश करने की कोशिश बताया है. जबकि ट्रंप के विपक्षी नेता बिल रुसो का कहना है कि इस फैसले से लोकतंत्र की जीत होगी। डेमोक्रेट नेता हिलेरी क्लिंटन ने भी इस फैसले का स्वागत करते हुए फेसबुक को अपने फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए कहा है जो राजनीतिक विज्ञापनों पर पाबंदी लगाने के पक्ष में नहीं है.
इंटरनेट के विज्ञापन कमर्शल एडवरटाइज़र्स के लिए बेहद शानदार और कारगर होते हैं लेकिन इंटरनेट के यही विज्ञापन राजनीतिक विज्ञापनों में जोखिम पैदा करते हैं. इंटरनेट पर राजनीतिक विज्ञापन मतदाताओं को गुमराह कर सकते हैं जिसका असर लाखों ज़िंदगियों पर पड़ सकता है. Twitter के मुताबिक 2018 में हुए US Midterm Elections में पॉलिटिकल विज्ञापनों के ज़रिए 3 Million Dollar की कमाई हुई थी। वहीं भारत में 2019 के आमचुनाव में तक़रीबन 5000 Crore रुपये Social Media के विज्ञापनों पर खर्च किये गए थे. ट्विटर का यह फ़ैसला दुनियाभर में उन राजनीतिक दलों के लिए बड़ा झटका है जो सोशल मीडिया के ज़रिए वोटरों को गुमराह करके चुनाव जीतने में यक़ीन रखते हैं. वीडियो देखिये वोटरों को रिझाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कमोबेश सभी दल करते हैं लेकिन प्रोपगंडा फ़ैलाने में दक्षिणपंथी विचारधारा के दल बदनाम हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के चुनाव प्रचार के मैनेजर ब्रेड पास्कल ने इसे ट्रंप और कंज़रवेटिव्स को ख़ामोश करने की कोशिश बताया है. जबकि ट्रंप के विपक्षी नेता बिल रुसो का कहना है कि इस फैसले से लोकतंत्र की जीत होगी। डेमोक्रेट नेता हिलेरी क्लिंटन ने भी इस फैसले का स्वागत करते हुए फेसबुक को अपने फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए कहा है जो राजनीतिक विज्ञापनों पर पाबंदी लगाने के पक्ष में नहीं है.
Latest Videos