चलो बुलावा आया है: विदेशों से कुछ भारतीय आएंगे, बाक़ी लटके रह जाएंगे
आपने बसों में लिखा देखा होगा यात्री अपने सामान की रक्षा स्वयं करें लेकिन विदेशों में रहने वाले भारतीये, जो लौटना चाहते हैं उनके लिए ये लिखना चाहिए कि यात्री अपने सामान और अपनी जान की रक्षा स्वयं करें। यही नहीं विदेशों से जो लोग कोरोना वायरस के इस दौर में वापस लौटना चाहते हैं उन्हें किराया ख़ुद देना होगा। क्वारंटीन में जाने का पैसा भी देना होगा और जितनी जाँच होगी उन सबका पैसा भी उनसे ही लिया जाएगा।
सरकार ने विदेशों में रह रहे भारतीयों को वतन वापस लाने की घोषणा तो कर दी है लेकिन कहीं ऐसा ना हो कि कोई कोताही हो जाए और कोरोना फैलने का एक नया सिलसिला शुरू हो जाए। अलग-अलग राज्य सरकार तैयारी कर रही है दिल्ली सरकार ने डिटेल प्लान बनाया है। सिर्फ़ खाड़ी देशों में ही अब तक 3 लाख लोगों ने भारतीय मिशन में घर वापसी के लिए रेजिस्ट्रेशन कराया है लेकिन खाड़ी में तक़रीबन 84 लाख भारतीय रहते हैं. इनमें बड़ी तादाद मज़दूर तबक़े की है. नॉन स्कल्ड वर्कर्स हैं जो ज़्यादातर यूपी बिहार और बंगाल के हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक विदेशों में एक करोड़ 34 लाख भारतीय रह रहे हैं. मगर इनमें से 83 लाख 72 हज़ार भारतीय सात इस्लामिक देशों यूनाइटेडट अरब एमिरात, सऊदी अरब, कुवैत, ओमान, क़तर, बहरीन और मलेशिया में रह रहे हैं. विदेश में सबसे ज़यादा 34 लाख 20 हज़ार भारतीय यूनाइटेड अरब एमिरात में रह रहे हैं. वहीं सऊदी अरब में 25 लाख 94 हज़ार 947, कुवैत में 10 लाख 29 हज़ार 861, ओमान में 7 लाख 79 हज़ार 351, क़तर में 7 लाख 56 हज़ार 062, बहरीन में 3 लाख 23 हज़ार 292 भारतीय रह रहे हैं. स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर जारी किया गया है कि विदेश से लौटने के लिए उन लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी जो मजबूर हैं और संकट से घिरे हैं. उनमें नौकरी से निकाले जा चुके प्रवासी कामगार और ऐसे लोग भी शामिल हैं जिनका शॉर्ट टर्म वीज़ा एक्सपायर कर गया है. गृह मंत्रालय ने एसओपी में साफ़ किया है कि इमरजेंसी मेडिकल वालों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और परिवार के सदस्य की मौत की वजह से भारत लौटने वाले लोगों और छात्रों को प्राथमिकता दी जाएगी. गृह मंत्रालय ने यह भी साफ किया है कि सभी यात्रियों को ही यात्रा का भाड़ा देना होगा. यात्रा शुरू होने से पहले सभी यात्रियों को यह लिखकर देना होगा कि वे भारत पहुंचने पर अपने खर्च पर क्वारंटाइन में रहेंगे. उन्हें यह भी लिखकर देना होगा कि वे अपनी जोखिम पर यह यात्रा कर रहे हैं. विमान या जहाज में सवार होने के वक़्त उनकी थर्मल स्क्रीनिंग होगी जिनमें कोविड-19 के लक्षण नजर नहीं आयेंगे, बस उन्हें ही सवार होने दिया जाएगा. भारत पहुंचने के बाद इन यात्रियों दोबारा थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी. उनसे अपने मोबाइल पर आरोग्य सेतु डाउनलोड करने को कहा जाएगा. जिनमें लक्षण दिखेंगे उन्हें फौरन अस्पताल ले जाया जाएगा. बाकी को 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाएगा जिसका इंतजाम संबंधी राज्य और केंद्रशासित सरकारें करेंगी. चौदह दिन बाद जांच में संक्रमण नहीं नजर आने पर उन्हें घर जाने दिया जाएगा और अगले और 14 दिनों के लिए उन्हें अपने स्वास्थ्य की निगरानी करने को कहा जाएगा. केंद्र सरकार ने विदेशों से भारतीयों की वापसी वाले इस अभियान को वंदे भारत मिशन नाम दिया है जो 7 मई से शुरू होगा. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए यूएई, सिंगापुर, मालदीव और अमेरिका में भारतीय राजदूतों से बात की है और प्रवासी भारतीयों से अपील की है कि वे भारतीय दूतावास के संपर्क में बने रहें. पहले हफ्ते में 12 देशों के लिए 64 विशेष उड़ानों की इजाज़त दी गई है. इस दौरान यूएई, सऊदी अरब, कुवैत, क़तर, बहरीन, मालदीव, सिंगापुर और अमेरिका से लोगों को भारत वापस लाया जाएगा. नेवी के जहाज़ मालदीव से लोगों को वापस लाएंगे जहां बड़ी तादाद में भारतीय काम करते हैं. सरकार उन्हें वापस लाना चाहती है। उन सबको वापस लाना चाहती है जो आना चाहते हैं। विदेश छोड़ कर अपने देश कौन नहीं लौटना चाहता। दिहाड़ी मज़दूर भी तो यही चाहते हैं कि वे भी अपने अपने देस लौट जाएँ। उनके लिए उनका देस उनका गाँव है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक विदेशों में एक करोड़ 34 लाख भारतीय रह रहे हैं. मगर इनमें से 83 लाख 72 हज़ार भारतीय सात इस्लामिक देशों यूनाइटेडट अरब एमिरात, सऊदी अरब, कुवैत, ओमान, क़तर, बहरीन और मलेशिया में रह रहे हैं. विदेश में सबसे ज़यादा 34 लाख 20 हज़ार भारतीय यूनाइटेड अरब एमिरात में रह रहे हैं. वहीं सऊदी अरब में 25 लाख 94 हज़ार 947, कुवैत में 10 लाख 29 हज़ार 861, ओमान में 7 लाख 79 हज़ार 351, क़तर में 7 लाख 56 हज़ार 062, बहरीन में 3 लाख 23 हज़ार 292 भारतीय रह रहे हैं. स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर जारी किया गया है कि विदेश से लौटने के लिए उन लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी जो मजबूर हैं और संकट से घिरे हैं. उनमें नौकरी से निकाले जा चुके प्रवासी कामगार और ऐसे लोग भी शामिल हैं जिनका शॉर्ट टर्म वीज़ा एक्सपायर कर गया है. गृह मंत्रालय ने एसओपी में साफ़ किया है कि इमरजेंसी मेडिकल वालों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और परिवार के सदस्य की मौत की वजह से भारत लौटने वाले लोगों और छात्रों को प्राथमिकता दी जाएगी. गृह मंत्रालय ने यह भी साफ किया है कि सभी यात्रियों को ही यात्रा का भाड़ा देना होगा. यात्रा शुरू होने से पहले सभी यात्रियों को यह लिखकर देना होगा कि वे भारत पहुंचने पर अपने खर्च पर क्वारंटाइन में रहेंगे. उन्हें यह भी लिखकर देना होगा कि वे अपनी जोखिम पर यह यात्रा कर रहे हैं. विमान या जहाज में सवार होने के वक़्त उनकी थर्मल स्क्रीनिंग होगी जिनमें कोविड-19 के लक्षण नजर नहीं आयेंगे, बस उन्हें ही सवार होने दिया जाएगा. भारत पहुंचने के बाद इन यात्रियों दोबारा थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी. उनसे अपने मोबाइल पर आरोग्य सेतु डाउनलोड करने को कहा जाएगा. जिनमें लक्षण दिखेंगे उन्हें फौरन अस्पताल ले जाया जाएगा. बाकी को 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाएगा जिसका इंतजाम संबंधी राज्य और केंद्रशासित सरकारें करेंगी. चौदह दिन बाद जांच में संक्रमण नहीं नजर आने पर उन्हें घर जाने दिया जाएगा और अगले और 14 दिनों के लिए उन्हें अपने स्वास्थ्य की निगरानी करने को कहा जाएगा. केंद्र सरकार ने विदेशों से भारतीयों की वापसी वाले इस अभियान को वंदे भारत मिशन नाम दिया है जो 7 मई से शुरू होगा. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए यूएई, सिंगापुर, मालदीव और अमेरिका में भारतीय राजदूतों से बात की है और प्रवासी भारतीयों से अपील की है कि वे भारतीय दूतावास के संपर्क में बने रहें. पहले हफ्ते में 12 देशों के लिए 64 विशेष उड़ानों की इजाज़त दी गई है. इस दौरान यूएई, सऊदी अरब, कुवैत, क़तर, बहरीन, मालदीव, सिंगापुर और अमेरिका से लोगों को भारत वापस लाया जाएगा. नेवी के जहाज़ मालदीव से लोगों को वापस लाएंगे जहां बड़ी तादाद में भारतीय काम करते हैं. सरकार उन्हें वापस लाना चाहती है। उन सबको वापस लाना चाहती है जो आना चाहते हैं। विदेश छोड़ कर अपने देश कौन नहीं लौटना चाहता। दिहाड़ी मज़दूर भी तो यही चाहते हैं कि वे भी अपने अपने देस लौट जाएँ। उनके लिए उनका देस उनका गाँव है।
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