सरदार सरोवर बांध नहीं खोलने से मध्यप्रदेश के कई गांवों में बाढ का खतरा
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटेकर और उनके समर्थक मध्यप्रदेश के बड़वानी ज़िले में पांच दिन से धरने पर हैं। इन्हें डर है कि मध्यप्रदेश के 192 गांव बारिश और बांध के पानी में डूब सकते हैं। मेधा पाटेकर की मांग है कि गुजरात सरकार सरदार सरोवर बांध को खोले ताकि मध्यप्रदेश के गांवों को बचाया जा सके। सरदार सरोवर बांध में पानी का जलस्तर फिलहाल 134 मीटर पहुंच गया है जो कि ख़तरे के निशान से ऊपर है।
आंदोलनकारियों की मांग है कि गुजरात सरकार सरदार सरोवर डैम के गेट को खोल कर जलस्तर को 130 मीटर तक कम कर दे और 32 हजार प्रभावित लोगों के लिए पुर्नवास शुरू करे। हालाँकि मध्यप्रदेश के धार और बड़वानी जिलों से पिछले 22 दिन में 16,000 से अधिक लोगों को निकाला गया है।
इससे प्रभावित होने वाले ज्यादातर लोग मध्य प्रदेश के पश्चिमी निमाड़ इलाके से हैं। बडवानी, धार, खारगांव, अलीराजपुर जिले समेत करीब 20 गांव बांध के बैकवाटर से डूबते जा रहे हैं। सबसे अधिक प्रभावित इलाकों में निसरपुर, राजघाट, चिखल्दा, छोटा बड़दा, एकलवाद, जंगरवा, पिछोरी जैसे गांव शामिल हैं। यहाँ आने जाने के लिए नाव ही एकमात्र साधन है। इतनी परेशानियों के बाद भी लोग अपने घरों को छोड़कर नहीं जाना चाहते, उनका कहना है कि वे लोग किसी प्राकृतिक आपदा के शिकार नहीं हुए हैं, बल्कि गुजरात सरकार की वजह से इस हालत में पहुंचे हैं। साथ ही मध्यप्रदेश सरकार ने भी उन्हें समय रहते गांव छोड़ने की सलाह दी है लेकिन बिना उचित पुनर्वास के ये लोग कहां जाएंगे। उन्होंने बताया कि उन्हें सरकार की तरफ से आश्वासन तक नहीं मिला, उल्टा उन्हें गांव से खदेड़ने के लिए पुलिस तैनात कर दी गई है।
इससे प्रभावित होने वाले ज्यादातर लोग मध्य प्रदेश के पश्चिमी निमाड़ इलाके से हैं। बडवानी, धार, खारगांव, अलीराजपुर जिले समेत करीब 20 गांव बांध के बैकवाटर से डूबते जा रहे हैं। सबसे अधिक प्रभावित इलाकों में निसरपुर, राजघाट, चिखल्दा, छोटा बड़दा, एकलवाद, जंगरवा, पिछोरी जैसे गांव शामिल हैं। यहाँ आने जाने के लिए नाव ही एकमात्र साधन है। इतनी परेशानियों के बाद भी लोग अपने घरों को छोड़कर नहीं जाना चाहते, उनका कहना है कि वे लोग किसी प्राकृतिक आपदा के शिकार नहीं हुए हैं, बल्कि गुजरात सरकार की वजह से इस हालत में पहुंचे हैं। साथ ही मध्यप्रदेश सरकार ने भी उन्हें समय रहते गांव छोड़ने की सलाह दी है लेकिन बिना उचित पुनर्वास के ये लोग कहां जाएंगे। उन्होंने बताया कि उन्हें सरकार की तरफ से आश्वासन तक नहीं मिला, उल्टा उन्हें गांव से खदेड़ने के लिए पुलिस तैनात कर दी गई है।
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