वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के करोड़ों की घोषणाओं में क्या-क्या है?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक पैकेज को लेकर कई अहम ऐलान किए हैं. उन्होंने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को दोबारा पटरी पर लाने के लिए छह क़दम बताए हैं. उन्होंने कहा कि कुटीर लघु उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और इन्हें बिना गारंटी के तीन लाख करोड़ रुपए के कर्ज़ दिए जाएंगे. यह कर्ज़ चार साल तक के लिए होगा और पहले एक साल तक मूलधन चुकाने से छूट मिलेगी. यह कर्ज़ 31 अक्टूबर 2020 से लिए जा सकेंगे.
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने कुटीर लघु उद्योग में निवेश और कारोबार की सीमा बढ़ा दी है. पहले 25 लाख से कम का उत्पादन करने वाली इकाई को सूक्ष्म उद्योग की श्रेणी में रखा गया था. अब एक करोड़ रुपए का निवेश और पांच करोड़ रुपए तक का कारोबार भी सूक्ष्म श्रेणी में माना जाएगा.
इसी तरह 10 करोड़ के निवेश और 50 करोड़ तक के कारोबार को लघु उद्योग की श्रेणी में रखा जाएगा. मध्यम उद्योगों के लिए 20 करोड़ तक का निवेश और सौ करोड़ तक के कारोबार का प्रावधान किया गया है. कुटीर लघु उद्योग के अलावा भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई घोषणाएं कीं. उन्होंने बताया कि अभी तक कर्मचारी और नियोक्ता ईपीएफ़ के खाते में 12-12 फ़ीसदी का योगदान करते हैं लेकिन अब इसे अगले तीन महीने तक घटाकर 10-10 फ़ीसदी कर दिया गया है. हालांकि यह सरकारी कंपनियों पर लागू नहीं होगा. उन्होंने कहा कि अगले तीन महीने तक 15 हज़ार से कम तनख़्वाह वालों का ईपीएफ़ सरकार देगी. इसके अलावा ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों यानी एनबीएफसी या फिर हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट्स के लिए 30 हज़ार करोड़ की स्पेशल लिक्विडिटी स्कीम लाने की तैयारी चल रही है. भारी संकट से जूझ रही बिजली कंपनियों के लिए 90 हज़ार करोड़ रुपए की नकदी का इंतज़ाम किया गया है. रियल एस्टेट कंपनियों को भी बड़ी राहत मिली है और उन्हें प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए छह महीने की मोहलत दे दी गई है. इनकम टैक्स रिटर्न की तारीख़ 31 जुलाई 2020 से बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दी गई है.
इसी तरह 10 करोड़ के निवेश और 50 करोड़ तक के कारोबार को लघु उद्योग की श्रेणी में रखा जाएगा. मध्यम उद्योगों के लिए 20 करोड़ तक का निवेश और सौ करोड़ तक के कारोबार का प्रावधान किया गया है. कुटीर लघु उद्योग के अलावा भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई घोषणाएं कीं. उन्होंने बताया कि अभी तक कर्मचारी और नियोक्ता ईपीएफ़ के खाते में 12-12 फ़ीसदी का योगदान करते हैं लेकिन अब इसे अगले तीन महीने तक घटाकर 10-10 फ़ीसदी कर दिया गया है. हालांकि यह सरकारी कंपनियों पर लागू नहीं होगा. उन्होंने कहा कि अगले तीन महीने तक 15 हज़ार से कम तनख़्वाह वालों का ईपीएफ़ सरकार देगी. इसके अलावा ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों यानी एनबीएफसी या फिर हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट्स के लिए 30 हज़ार करोड़ की स्पेशल लिक्विडिटी स्कीम लाने की तैयारी चल रही है. भारी संकट से जूझ रही बिजली कंपनियों के लिए 90 हज़ार करोड़ रुपए की नकदी का इंतज़ाम किया गया है. रियल एस्टेट कंपनियों को भी बड़ी राहत मिली है और उन्हें प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए छह महीने की मोहलत दे दी गई है. इनकम टैक्स रिटर्न की तारीख़ 31 जुलाई 2020 से बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दी गई है.
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