व्हाइट हाउस: राष्ट्रपति ट्रंप और पीएम मोदी के बीच धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर भी होगी चर्चा
अपने दो दिवसीय भारत दौरे पर आ रहे अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ देश में धार्मिक स्वतंत्रता पर चर्चा करेंगे। व्हाइट हाउस के मुताबिक अमरीकी सरकार विवादित नागरिकता कानून और एनआरसी जैसे मुद्दे को लेकर चिंतित है। इससे पहले एक अमरीकी सरकारी संस्था ने भी नागरिकता संशोधन कानून को मुसलमानों के लिए भेदभावपूर्ण और पक्षपाती बताया था।
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 24 फ़रवरी से भारत के दौरे पर आएंगे। इस दौरान वो अहमदाबाद, आगरा और नई दिल्ली के कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे। लेकिन उनके भारत दौरे से पहले ही व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने मीडिया से कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप सार्वजनिक और फिर निजी तौर पर लोकतंत्र और धार्मिक स्वतंत्रता की दोनों देशो की साझा परंपरा पर बात करेंगे। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प धार्मिक स्वतंत्रता समेत कई अन्य मुद्दों को उठाएंगे, जो कि अमेरिका के लिए जरूरी है।
वहीँ जब विवादित नागरिकता कानून और एनआरसी के विरोध में उठे देशव्यापी प्रदर्शनों के मुद्दे पर पूछे गए सवाल पर अधिकारी ने यह कहा कि आपने जिन मुद्दों को उठाया है हम उनमें से कुछ को लेकर चिंतित है और उन्हें लगता है कि राष्ट्रपति ट्रंप पीएम मोदी के साथ बैठक में इन मुद्दों को उठाएंगे। वाइट हाउस के अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल चुनाव जीतने के बाद अपने पहले भाषण में इस बात का ज़िक्र किया था कि वो भारत के धार्मिक अल्पसंख्यकों को साथ लेकर चलेंगे और उन्हें प्राथमिकता भी देंगे। अधिकारी ने आगे बताया कि निश्चित तौर पर दुनिया की नज़रें कानून व्यवस्था के तहत धार्मिक स्वतंत्रता बनाए रखने और सभी के साथ समानता का व्यवहार करने के लिए भारत पर टिकी हुई है। उन्होंने आगे कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता, धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए सम्मान और सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार ये सभी चीज़ें भारतीय संविधान में है और यह वो चीजें हैं जिन्हे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लिए महत्वपूर्ण होंगी और उन्हें भरोसा है कि वह इन मुद्दों को उठाएंगें। वीडियो देखिये यह पहले मौका नहीं है जब अमेरिका ने नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर कोई बयान दिया हो। इससे पहले बुधवार को अमेरिका की सरकारी संस्था अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संयुक्त राज्य आयोग (United States Commission on International Religious Freedom) ने नागरिकता कानून पर एक फैक्टशीट नाम से रिपोर्ट जारी कर, मोदी सरकार द्वारा लाये गए नागरिकता संशोधन कानून पर चिंता जताते हुए इसे मुसलमानों के लिए भेदभावपूर्ण और पक्षपाती बताया गया था।
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 24 फ़रवरी से भारत के दौरे पर आएंगे। इस दौरान वो अहमदाबाद, आगरा और नई दिल्ली के कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे। लेकिन उनके भारत दौरे से पहले ही व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने मीडिया से कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप सार्वजनिक और फिर निजी तौर पर लोकतंत्र और धार्मिक स्वतंत्रता की दोनों देशो की साझा परंपरा पर बात करेंगे। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प धार्मिक स्वतंत्रता समेत कई अन्य मुद्दों को उठाएंगे, जो कि अमेरिका के लिए जरूरी है।
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वहीँ जब विवादित नागरिकता कानून और एनआरसी के विरोध में उठे देशव्यापी प्रदर्शनों के मुद्दे पर पूछे गए सवाल पर अधिकारी ने यह कहा कि आपने जिन मुद्दों को उठाया है हम उनमें से कुछ को लेकर चिंतित है और उन्हें लगता है कि राष्ट्रपति ट्रंप पीएम मोदी के साथ बैठक में इन मुद्दों को उठाएंगे। वाइट हाउस के अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल चुनाव जीतने के बाद अपने पहले भाषण में इस बात का ज़िक्र किया था कि वो भारत के धार्मिक अल्पसंख्यकों को साथ लेकर चलेंगे और उन्हें प्राथमिकता भी देंगे। अधिकारी ने आगे बताया कि निश्चित तौर पर दुनिया की नज़रें कानून व्यवस्था के तहत धार्मिक स्वतंत्रता बनाए रखने और सभी के साथ समानता का व्यवहार करने के लिए भारत पर टिकी हुई है। उन्होंने आगे कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता, धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए सम्मान और सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार ये सभी चीज़ें भारतीय संविधान में है और यह वो चीजें हैं जिन्हे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लिए महत्वपूर्ण होंगी और उन्हें भरोसा है कि वह इन मुद्दों को उठाएंगें। वीडियो देखिये यह पहले मौका नहीं है जब अमेरिका ने नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर कोई बयान दिया हो। इससे पहले बुधवार को अमेरिका की सरकारी संस्था अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संयुक्त राज्य आयोग (United States Commission on International Religious Freedom) ने नागरिकता कानून पर एक फैक्टशीट नाम से रिपोर्ट जारी कर, मोदी सरकार द्वारा लाये गए नागरिकता संशोधन कानून पर चिंता जताते हुए इसे मुसलमानों के लिए भेदभावपूर्ण और पक्षपाती बताया गया था।
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