कौन हैं प्रोफ़ेसर डॉकिंस जिनके नाम पर जावेद अख़्तर को अवॉर्ड मिला
मशहूर शायर और गीतकार जावेद अख़्तर को रिचर्ड डॉकिन्स अवॉर्ड देने का ऐलान हुआ है. उन्हें यह अवॉर्ड ब्रिटेन के रिचर्ड डॉकिंस फाउंडेशन फॉर रीज़न एंड साइंस ने दिया है. इस अवॉर्ड के बारे में जावेद अख़्तर की बीवी और अदाकारा शबाना आज़मी ने जानकारी दी. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘तार्किक सोच, मज़हबी जड़ताओं पर सवाल करने, इंसानी तरक़्क़ी और इंसानियत से जुड़े मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए जावेद अख़्तर को 2020 का रिचर्ड डॉकिंस अवॉर्ड मिला है.’
जावेद अख़्तर पहले भारतीय हैं जिन्हें प्रतिष्ठित रिचर्ड डॉकिन्स अवॉर्ड मिला है. अपनी बेबाक़ राय के लिए मशहूर जावेद अख़्तर धार्मिक पाखंडों पर तीखा हमला करते हैं. साथ ही, वैज्ञानिक चेतना और मानवतावादी मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं.
रिचर्ड डॉकिन्स अवॉर्ड साल 2003 से मशहूर लेखक और शिक्षाविद रिचर्ड डॉकिंस के नाम पर दिया जाता है. फिलहाल वो ऑक्सफोर्ड के न्यू कॉलेज में एमिरेटस फेलो हैं. साल 1995 से 2008 तक उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड में पब्लिक अंडरस्टैंडिंग ऑफ साइंस के प्रोफ़ेसर रहे हैं. डॉकिंस 1976 में द सेल्फिश जीन नाम की क़िताब लिखकर पहली बार सुर्ख़ियों में आए थे. प्रोफ़ेसर डॉकिंस नास्तिक हैं और दुनिया की उत्पत्ति में किसी सर्वशक्तिमान रचयिता की भूमिका को नकारते रहे हैं. उन्होंने साल 2006 में द गॉड डिल्यूज़न नाम की किताब लिखकर भी तारीफ़ें बटोरी. उनका मानना है कि धार्मिक आस्था भ्रम के सिवा कुछ नहीं है. 2006 में उन्होंने रिचर्ड डाकिंस फाउंडेशन फॉर रीज़न एंड साइंस की स्थापना की थी. यह फाउंडेशन हर साल ऐसे लोगों को सम्मानित करता है जो समाज में तर्क और विज्ञान को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं.
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रिचर्ड डॉकिन्स अवॉर्ड साल 2003 से मशहूर लेखक और शिक्षाविद रिचर्ड डॉकिंस के नाम पर दिया जाता है. फिलहाल वो ऑक्सफोर्ड के न्यू कॉलेज में एमिरेटस फेलो हैं. साल 1995 से 2008 तक उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड में पब्लिक अंडरस्टैंडिंग ऑफ साइंस के प्रोफ़ेसर रहे हैं. डॉकिंस 1976 में द सेल्फिश जीन नाम की क़िताब लिखकर पहली बार सुर्ख़ियों में आए थे. प्रोफ़ेसर डॉकिंस नास्तिक हैं और दुनिया की उत्पत्ति में किसी सर्वशक्तिमान रचयिता की भूमिका को नकारते रहे हैं. उन्होंने साल 2006 में द गॉड डिल्यूज़न नाम की किताब लिखकर भी तारीफ़ें बटोरी. उनका मानना है कि धार्मिक आस्था भ्रम के सिवा कुछ नहीं है. 2006 में उन्होंने रिचर्ड डाकिंस फाउंडेशन फॉर रीज़न एंड साइंस की स्थापना की थी. यह फाउंडेशन हर साल ऐसे लोगों को सम्मानित करता है जो समाज में तर्क और विज्ञान को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं.
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