कोरोना के कमांडर कौन ?
दुनियाभर में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या के मामले में भारत अब ईरान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया के सर्वाधिक संक्रमित देशों की सूची में 10वें स्थान पर पहुंच गया है। ईरान में कुल संक्रमित मरीज़ों की संख्या 1,35,701 है जबकि अब भारत में कुल संक्रमितों की संख्या 1,38,845 हो गई है। इनमें 77,103 एक्टिव केस है। वहीं अब तक 57,720 ठीक होकर अपने घर वापस लौटे है, जबकि देशभर में 4021 लोगों की मौत भी हुई है।
भारत में कोरोना के अभी और ज्यादा तेज़ी से मामले आने का अनुमान है क्युकी भारत का एकलौता हथियार 'लॉकडाउन' फ़ैल होता नज़र आ रहा है। हालाँकि सरकार का कहना है की भारत में लॉकडाउन ना हुआ होता तो एक लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी होती। लेकिन साथ में सरकार आंकड़ों को देख के ये कह रही है की अभी इसका पीक जून जुलाई तक रह सकता है। वीडियो देखिये लॉकडाउन का एक बड़ा असर देखने को मिला अर्थव्यवस्था के ब्रेकडाउन पर। अर्थव्यवस्था का चक्का जाम होने से लाखों लोगों ने अपने अपने गांव का रुख किया, यानी ख़तरा अब शहरों के साथ साथ गांवों में भी बढ़ गया है और बुरी खबर ये है की गांवों में इसको जांचने की इतनी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। भारत के लॉकडाउन को एक सही फैसला बताने वाले अब चुप है, अब ना डोनाल्ड ट्रंप कुछ बोलते नज़र आ रहे है और ना ही डब्लूएचओ। इसका कारण ये है की अब भारत के हाथों से नियंत्रण छूट चूका है। हालात काबू से बाहर जा चुके है। टॉप 10 देशों की सूची में सिर्फ ब्राज़ील, रूस और भारत ही ऐसे है जिसमें अभी भी संक्रमण ऊपर जा रहा है। इनमें भी भारत का ग्रोथ रेट सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। अलग अलग बातें जैसे रिकवरी रेट ज्यादा होना, डेथ रेट कम होना, संक्रमण की गति इत्यादि ये सिर्फ भ्रमित करने वाली बातें नज़र आती दिख रही है क्युकी आंकड़ों के हिसाब से ये बिलकुल उलट है। डेथ रेट के मामले में भारत लिस्ट में नवें स्थान पर है। ये एक चिंता का विषय बना हुआ है क्युकी भारत में अभी भी मामले ऊपर जा रहे है। वहीँ अगर रोज़ संक्रमितों के मिलने की तुलना में डेथ रेट को देखा जाए तो यहां भी भारत, ब्राज़ील और रूस ही ऐसे देश है जहां ये खतरे का संकेत बना हुआ है, जबकि बाकि देशों में ये आंकड़े अब गिरने लगे है। डेथ रेट के औसत के हिसाब से भारत का पांचवा स्थान है और ये सबसे बड़ा विषय है जिसे जानना बहुत जरुरी है। इन सब बातों के होने का कारण समझा रहे है गोन्यूज़ के एडिटर इन चीफ पंकज पचौरी।
भारत में कोरोना के अभी और ज्यादा तेज़ी से मामले आने का अनुमान है क्युकी भारत का एकलौता हथियार 'लॉकडाउन' फ़ैल होता नज़र आ रहा है। हालाँकि सरकार का कहना है की भारत में लॉकडाउन ना हुआ होता तो एक लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी होती। लेकिन साथ में सरकार आंकड़ों को देख के ये कह रही है की अभी इसका पीक जून जुलाई तक रह सकता है। वीडियो देखिये लॉकडाउन का एक बड़ा असर देखने को मिला अर्थव्यवस्था के ब्रेकडाउन पर। अर्थव्यवस्था का चक्का जाम होने से लाखों लोगों ने अपने अपने गांव का रुख किया, यानी ख़तरा अब शहरों के साथ साथ गांवों में भी बढ़ गया है और बुरी खबर ये है की गांवों में इसको जांचने की इतनी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। भारत के लॉकडाउन को एक सही फैसला बताने वाले अब चुप है, अब ना डोनाल्ड ट्रंप कुछ बोलते नज़र आ रहे है और ना ही डब्लूएचओ। इसका कारण ये है की अब भारत के हाथों से नियंत्रण छूट चूका है। हालात काबू से बाहर जा चुके है। टॉप 10 देशों की सूची में सिर्फ ब्राज़ील, रूस और भारत ही ऐसे है जिसमें अभी भी संक्रमण ऊपर जा रहा है। इनमें भी भारत का ग्रोथ रेट सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। अलग अलग बातें जैसे रिकवरी रेट ज्यादा होना, डेथ रेट कम होना, संक्रमण की गति इत्यादि ये सिर्फ भ्रमित करने वाली बातें नज़र आती दिख रही है क्युकी आंकड़ों के हिसाब से ये बिलकुल उलट है। डेथ रेट के मामले में भारत लिस्ट में नवें स्थान पर है। ये एक चिंता का विषय बना हुआ है क्युकी भारत में अभी भी मामले ऊपर जा रहे है। वहीँ अगर रोज़ संक्रमितों के मिलने की तुलना में डेथ रेट को देखा जाए तो यहां भी भारत, ब्राज़ील और रूस ही ऐसे देश है जहां ये खतरे का संकेत बना हुआ है, जबकि बाकि देशों में ये आंकड़े अब गिरने लगे है। डेथ रेट के औसत के हिसाब से भारत का पांचवा स्थान है और ये सबसे बड़ा विषय है जिसे जानना बहुत जरुरी है। इन सब बातों के होने का कारण समझा रहे है गोन्यूज़ के एडिटर इन चीफ पंकज पचौरी।
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