WHO की चेतावनी, भारत, ब्राज़ील जैसे देशों में कोरोना का संकट बढ़ा
कोरोनावायरस की महामारी ब्रिटेन, अमेरिका समेत तमाम यूरोपीय देशों में थमती दिख रही है. इन देशों में संक्रमण के मामलों में कमी आई है और मौतें भी घटी हैं. दूसरी ओर दुनिया के विकासशील देशों में यह महामारी तेज़ी से पांव पसार रही है. विकासशील देशों में कोरोना के मामलों ने पूरी दुनिया में उन देशों को पीछे छोड़ दिया है, जहां कोरोना का संक्रमण आग की तरह फैला था.
विकासशील देश में स्वास्थ्य का ढांचा बेहद कमज़ोर है. लिहाज़ा, लॉकडाउन खोलने और आर्थिक गतिविधियां शुरू करने से संक्रमण का विस्फोट होने की आशंका है. भारत, ब्राज़ील और रूस में हालात ज़्यादा ख़राब हैं जहां पिछले दो हफ़्तों में संक्रमण के मामले बहुत तेज़ी से बढ़े हैं. फिलहाल भारत में कुल 85 हज़ार 970, ब्राज़ील में 2 लाख 2 हज़ार 918 और रूस में 2 लाख 52 हज़ार 245 मामले सामने आ चुके हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक विकसित देशों में नए संक्रमणों की संख्या अप्रैल में 40 फ़ीसदी से अधिक गिर गई है, लेकिन उभरती अर्थव्यवस्थाओं में संक्रमण तेज़ी से बढ़ रहा है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि स्वास्थ्य सेवाओं पर उभरते देश अपनी जीडीपी का 3 फ़ीसदी हिस्सा खर्च करते हैं जबकि विकसित देशों में जीडीपी का आठ फ़ीसदी तक ख़र्च किया जाता है. रूस, ब्राजील, ईरान, भारत और मैक्सिको में कोरोनोवायरस तेजी से फैल रहा है. इन देशों में स्वास्थ्य पर जीडीपी का वैश्विक औसत खर्च छह फ़ीसदी से काफी कम है। ब्राजील में मुफ्त चिकित्सा सुविधा क़ानूनी अधिकार है लेकिन स्वास्थ्य का ढांचा कमज़ोर है. यहां क़ानूनी अधिकार होने के बावजूद लोगों का इलाज नहीं हो पाता क्योंकि अस्पतालों की ज़बरदस्त कमी है. अमीरों के लिए तमाम तरह की सुविधाएं हैं. उनके लिए आईसीयू में रहने के लिए बेड हैं लेकिन सरकारी अस्पतालों के आसरे इलाज करवा रहे ग़रीब बड़ी संख्या में मर रहे हैं. अफ्रीकी देशों में भी जोखिम बढ़ रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आशंका ज़ाहिर की है कि अगर यहां हालात नहीं सुधरे तो संक्रमण चार करोड़ से ज़्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है और 12 महीने में लगभग 2 लाख मौतें हो सकती हैं. डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि दक्षिण अफ्रीका और कैमरून में महामारी भयंकर रूप ले रही है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक विकसित देशों में नए संक्रमणों की संख्या अप्रैल में 40 फ़ीसदी से अधिक गिर गई है, लेकिन उभरती अर्थव्यवस्थाओं में संक्रमण तेज़ी से बढ़ रहा है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि स्वास्थ्य सेवाओं पर उभरते देश अपनी जीडीपी का 3 फ़ीसदी हिस्सा खर्च करते हैं जबकि विकसित देशों में जीडीपी का आठ फ़ीसदी तक ख़र्च किया जाता है. रूस, ब्राजील, ईरान, भारत और मैक्सिको में कोरोनोवायरस तेजी से फैल रहा है. इन देशों में स्वास्थ्य पर जीडीपी का वैश्विक औसत खर्च छह फ़ीसदी से काफी कम है। ब्राजील में मुफ्त चिकित्सा सुविधा क़ानूनी अधिकार है लेकिन स्वास्थ्य का ढांचा कमज़ोर है. यहां क़ानूनी अधिकार होने के बावजूद लोगों का इलाज नहीं हो पाता क्योंकि अस्पतालों की ज़बरदस्त कमी है. अमीरों के लिए तमाम तरह की सुविधाएं हैं. उनके लिए आईसीयू में रहने के लिए बेड हैं लेकिन सरकारी अस्पतालों के आसरे इलाज करवा रहे ग़रीब बड़ी संख्या में मर रहे हैं. अफ्रीकी देशों में भी जोखिम बढ़ रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आशंका ज़ाहिर की है कि अगर यहां हालात नहीं सुधरे तो संक्रमण चार करोड़ से ज़्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है और 12 महीने में लगभग 2 लाख मौतें हो सकती हैं. डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि दक्षिण अफ्रीका और कैमरून में महामारी भयंकर रूप ले रही है.
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