विमान हादसे के बाद सबसे पहले ब्लैक बॉक्स क्यों तलाशा जाता है, पढ़िए पूरी डीटेल्स

by GoNews Desk 3 years ago Views 3127

Why black box is searched first after plane crash,
केरल के कोझिकोड में हादसे का शिकार हुए एयर इंडिया एक्सप्रेस विमान से दो ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिए गए हैं. इस हादसे के बारे में पुख़्ता जानकारी दोनों ब्लैकबॉक्स का डेटा खंगालने के बाद मिलेगी. हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी, डीजीसीए, एएआईबी समेत कई एजेंसियां तालमेल बिठाकर जांच में जुटी हुई हैं.

जब भी कोई विमान हादसा होता है तो जांच कर रही टीमें ब्लैक बॉक्स को रिकवर करने की कोशिश करती हैं. इसी ब्लैकबॉक्स से हादसे की सटीक जानकारी का पता चलता है. इसे फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर भी कहते हैं. आइए आज विस्तार से इस ब्लैक बॉक्स के बारे में जानने की कोशिश करते हैं.


हवाई जहाज का ‘ब्लैक बॉक्स’ या फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर, उड़ान के दौरान विमान से जुड़ी सभी तरह की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने वाला उपकरण है। यह ब्लैक बॉक्स विमान के पिछले हिस्से लगा होता है और ख़ास बात यह है कि इसका कलर ऑरेंज होता है। यह बॉक्स बहुत ही मज़बूत मानी जाने वाली धातु टाइटेनियम का बना होता है। इस ब्लैक बॉक्स में विमान की दिशा, ऊंचाई,  ईंधन, गति, हलचल और केबिन का तापमान समेत 88 तरह के आंकड़ों के बारे में 25 घंटों से ज़्यादा की रिकार्डेड जानकारियां जमा होती हैं.

ब्लैक बॉक्स के भीतर एक कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर भी लगा होता है जो विमान के आख़िरी दो घंटे के दौरान विमान की आवाज़ को रिकॉर्ड करता है। यही नहीं इंजन की आवाज़, आपातकालीन अलार्म की आवाज़, केबिन की आवाज़ और कॉकपिट में होने वाली आवाज़ों को भी रिकॉर्ड करता है। इससे यह पता लगाने में मदद मिलती है कि हादसे के आख़िरी दो घंटे पहले विमान के भीतर कैसा माहौल था।

ख़ास बात यह है कि विमानों में लगा ब्लैक बॉक्स इतना सख्त होता है कि 1100 डिग्री सेल्सियस पर भी इसका कुछ नहीं बिगड़ता। कहा जाता है कि ब्लैक बॉक्स विमानों की धड़कन होते हैं. 30 दिनों तक यह बिना इलेक्ट्रिक के काम कर सकता है। यानि तीस दिनों तक ब्लैक बॉक्स से बीप की आवाज़ आती रहती है। अगर यह बॉक्स 14,000 फीट नीचे पानी के भीतर भी डूब जाए फिर भी यह अपना संकेत भेजता रहता है। साल 1953-54 के दौरान विमान हादसों के बढ़ने की वजह से वैज्ञानिकों ने इसकी खोज की थी।

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