दिल्ली चुनाव: गाली गोली नहीं चली

by Darain Shahidi 4 years ago Views 2891

Why Bullets And Brazenness Could Not Bully Delhi !
ऐसे दिन आ गए? विकास का नारा देने वाली पार्टी बीजेपी ने दिल्ली चुनाव प्रचार में क्या किया? और जो किया उससे उसे क्या मिला? दिल्ली चुनावों में गाली और गोली। गाली दी गई गोली मारने की बात की गई। गोली चली भी लेकिन गाली और गोली की राजनीति नहीं चली। अनुराग ठाकुर ने गोली मारने वाला नारा लगवाया। परवेश वर्मा ने कहा कि शाहीन बाग़ के लोग घरों में घुस कर बलात्कार करेंगे। अहम् बात ये है कि इन दोनों के पिता बीजेपी के बड़े नेता रहे हैं और दोनों ही के पिता मुख्यमंत्री रह चुके हैं। एक हिमाचल के और एक दिल्ली के।  

अनुराग ठाकुर के पिता जी श्री प्रेम कुमार धूमल हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और ज़ाहिर है कि वंशवाद और परिवारवाद के विरुद्ध पार्टी बीजेपी ने अनुराग ठाकुर को बड़े-बड़े ओहदों से नवाज़ा है। फिलहाल वे भारत के वित्त राज्य मंत्री हैं। अनुराग अपने पिता की विरासत को बख़ूबी आगे बढ़ा रहे हैं। लेकिन ऐसा लगता नहीं कि उनके पिता जी ने कभी जनता को गाली देने के लिए उकसाया होगा या ख़ुद गाली दी होगी।


परवेश वर्मा के पिता जी का नाम था साहिब सिंह वर्मा और वे दिल्ली के मुख्यमंत्री थे। राजनीतिक हलकों में बड़े शरीफ़ आदमी की छवि थी। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पढ़े हुए थे और राजनीति में वंशवाद के ख़िलाफ़ थे। इन दोनों युवा नेताओं ने राजनीति का स्तर दिल्ली चुनावों में काफ़ी नीचे गिरा दिया। महत्वपूर्ण बात ये है कि अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा ने जिन जगहों पर ये बातें कही, वहाँ बीजेपी बुरी तरह से हार गई। इलाक़े के वोटरों को पूर्व मुख्यमंत्रियों के लड़कों की ये बात अच्छी नहीं लगी। 

अनुराग ठाकुर ने रिठाला में गोली मारो वाला नारा लगवाया था, देखिए क्या हाल हुआ। रिठाला विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी के मोहिंदर गोयल जीत गए। मोहिंदर गोयल ने 13,994 वोटों से जीत हासिल की है। मोहिंदर गोयल को 87,807 वोट मिले जबकि बीजेपी के मनीष चौधरी को 73,813 वोट मिले। यानी गाली देने और गोली मारने के नारे का असर उलटा पड़ा। परवेश वर्मा ने विकासपुरी में कहा था कि शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारी घरों में घुसकर मां बहनों को उठाएँगे और बलात्कार करेंगे। विकासपुरी विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के महेंद्र यादव जीतने में कामयाब रहे हैं। यादव ने भारतीय जनता पार्टी के संजय सिंह को 42 हजार मतों से मात दी। यहाँ के लोगों ने परवेश वर्मा की बातों को नकार दिया।

आपको मालूम ही है कि देश के गृह मंत्री श्री अमित शाह जी ने दिल्ली के विधानसभा क्षेत्र बाबरपुर में क्या कहा था, कि बटन इतने ग़ुस्से में दबाना कि करंट शाहीन बाग़ में लगे। देखिए बाबरपुर के लोगों ने बीजेपी का क्या हाल किया। बाबरपुर में 33 हज़ार वोट से आम आदमी पार्टी के गोपाल राय की जीत हुई है। तमाम राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय अख़बारों ने भेदभाव की राजनीति की आलोचना की है बांटने वाली राजनीति की आलोचना की है और जनता के लिए काम करने की राजनीति की तारीफ़ की है।

  • पंजाब से निकलने वाले अख़बार ट्रिब्यून ने लिखा है कि  'Landslide For AAP Against Goli Maaro Politics'

(गोली मारो जैसी राजनीति के ख़िलाफ़ आप का भूस्खलन)

द इकोनोमिक टाइम्स ने लिखा है;

“काम आदमी पार्टी”। 

कोलकाता से छपने वाले अख़बार टेलिग्राफ ने तो अमित शाह के करंट वाले बयान का मज़ाक़ उड़ाते हुए हेडिंग बनाई है “करंटज्रीवाल” (Currentjriwal) नीचे लिखा है “ध्रुविकरण के ख़िलाफ़ एक प्रयोग” (A Prayog Against Polarisation)

अंतराष्ट्रीय अख़बारों ने भी मोदी और केजरीवाल की राजनीति की तुलना करते हुए कई हेडिंग्स बनाई हैं।

  • द गार्डियन ने लिखा है ‘Modi’s party concedes defeat in Delhi after polarising campaign’

(ध्रुवीकरण अभियान के बाद दिल्ली में मोदी की पार्टी को मिली हार)

  • न्यू यॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट की हेडिंग बनाई है- ‘In bitter Delhi election, Modi’s party suffers a setback’

(कड़वे दिल्ली चुनाव में, मोदी की पार्टी को करारा झटका लगा)

जबकि बीजेपी ने देश के "अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंदू बहुमत को खड़ा कर दिया है”, आम आदमी पार्टी को "अपने हिंदू क्रेडेंशियल्स को खेलते हुए धार्मिक सह-अस्तित्व और विविधता" के रूप में पेश किया। "मोदी की पार्टी की मुख्य रणनीति संप्रदाय की पहचान के मुद्दों पर लगातार ध्यान केंद्रित करना, नागरिकता कानून और अन्य हिंदू-केंद्रित पहलों पर दोहरीकरण करना था।

  • द वॉशिंगटन पोस्ट ने हेडिंग बनाई है- Stunning defeat for Modi’s party in New Delhi elections’.

(नई दिल्ली चुनावों में मोदी की पार्टी के लिए आश्चर्यजनक हार)

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे एक छोटी सी आम आदमी पार्टी ने अपने काम के बल पर मोदी की बीजेपी को हरा दिया। दिल्ली की जनता ने क्या संदेश दिया है। शायद ये कि असली देशद्रोह धर्म के नाम पर देश के नागरिकों को बाँटना है। बिना धर्म पूछे हर नागरिक का ध्यान रखना और शिक्षा स्वास्थ्य बिजली और पानी के मुद्दों पर जनता के लिए काम करना ही नेताओं के लिए असली देशभक्ति है। ना कि ये कहना कि 8 फरवरी को इंडिया पाकिस्तान का मैच होगा। ऐसा कहने वालों को समझ आ गया होगा कि दिल्ली में 11 फरवरी को इंडिया की जीत हुई है।

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