महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में कोरोना का संक्रमण बेक़ाबू क्यों हुआ?

by Rahul Gautam 3 years ago Views 2411

Why did Corona infection go out of control in stat
देश में 50 दिन की तालाबंदी से उद्योग, धंधे, कारोबारी और मज़दूर भले ही बर्बादी की कगार पर पहुंच गए हैं और संक्रमण का दायरा बढ़ता जा रहा है. लॉकडाउन 3.0 ख़त्म होने वाला है और अब तक 70 हज़ार से ज़्यादा लोग कोरोनावायरस से संक्रमित हो चुके हैं. केंद्र सरकार कह रही है कि उसके फैसलों के चलते कोरोनो संकट को काफी हद तक टाला जा सका है लेकिन आंकड़े दूसरी कहानी बयां कर रहे हैं. आंकड़ों की मानें तो देश में लॉकडाउन बुरी तरह फेल हो गया है. लॉकडाउन 3.0 में मरीज़ों की संख्या में सबसे बड़ा उछाल आया है.

दरअसल भारत जैसे सघन आबादी वाले देश में सोशल डिस्टेंसिंग और सेल्फ आइसोलेशन जैसे नियम व्यवहारिक नहीं हैं. देश में सबसे ज़्यादा 23 हज़ार 401 मामले महाराष्ट्र में मिले हैं जहां बड़ी आबादी एक कमरे के घर में रहती है. सेंसस की 2014 की एक रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र के शहरों में 49.6 फ़ीसदी और गावों में 29.4 फीसदी घर एक कमरे के हैं जहां पूरा परिवार रहता है. इन परिवारों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग या सेल्फ आइसोलेशन जैसे लफ्ज़ बेमानी हैं.


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8 हज़ार 541 मामलों के साथ गुजरात दूसरे नंबर पर है जहां गावों में 39.9 फ़ीसदी और शहरों में 34.6 घर एक कमरे के हैं.

तमिलनाडु में 8 हज़ार 002 मामले सामने आ चुके हैं जहां गांवों में 48.4 फीसदी और शहरों में 43.2 घर एक कमरे के हैं जहां पूरा परिवार रहता है.

दिल्ली में अब तक 7 हज़ार 233 मामले सामने आ चुके है. यहां गांवों में 31.4 फीसदी और शहरों में 39.7 फीसदी घर एक कमरे के हैं जहां पूरा परिवार रहता है.

इन तीन राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में फिलहाल संक्रमण के सबसे ज़्यादा मामले हैं और यहां सघन आबादी एक कमरे के घर में रहती है.

वहीं जिन राज्यों में बड़ी आबादी दो या तीन कमरों के घर में रहती है, वहां संक्रमण कम फैला है. अगर केरल की बात करें तो यहां सिर्फ 519 मामले सामने आए हैं. यहां सिर्फ 2.5 परिवार शहरों में और 3.5 फीसदी परिवार गांवों में एक कमरे के घर में रहते हैं. इस राज्य में कोई भी परिवार बेघर नहीं है.

वहीं जिन राज्यों में बड़ी आबादी दो या तीन कमरों के घर में रहती है, वहां संक्रमण कम फैला है. अगर केरल की बात करें तो यहां सिर्फ 519 मामले सामने आए हैं. यहां सिर्फ 2.5 परिवार शहरों में और 3.5 फीसदी परिवार गांवों में एक कमरे के घर में रहते हैं. इस राज्य में कोई भी परिवार बेघर नहीं है.

इसी तरह 65 मामले वाले राज्य असम में शहरों में 22.8 फीसदी और गांवों में 24.6 फ़ीसदी घर एक कमरे के हैं.

छत्तीसगढ़ में अब तक केवल 59 मामले सामने आए हैं. इस राज्य में शहर में 22.6 फ़ीसदी और गांव में 26.2 फीसदी परिवार एक कमरे के घर में रहते हैं.

झारखण्ड में भी अब तक केवल 160 मामले ही सामने आए हैं. यहां 26 फीसदी परिवार गांव में और शहर में केवल 18 फीसदी परिवार ही एक कमरे के घर में रहते हैं.

इन आंकड़ों से पता चलता है कि जिन राज्यों में आबादी की सघनता कम है और घर बड़े हैं, वहां कोरोना के उपाय कारगर साबित हुए हैं.

जनता कर्फ्यू के ठीक पहले भी गोन्यूज़ ने सवाल उठाया था कि जब देश में तक़रीबन 40 करोड़ लोग महज़ एक कमरे के घर में रहते हैं तो वहां सेल्फ आइसोलेशन कैसे मुमकिन है.

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