दिल्ली, मुंबई में कोरोना का संक्रमण बेतहाशा क्यों फैला?
देश में कोरोना संक्रमण के रोकथाम के बड़े-बड़े दावे करने के बावजूद हालात बेक़ाबू होते दिख रहे हैं. दिल्ली-मुंबई का हाल सबसे ख़राब है जहां रोज़ाना रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि इन शहरों में आबादी बेहद सघन है और ज़्यादातर परिवार एक कमरे के घर में रहते हैं.
सेंसस 2014 के आंकड़ों के मुताबिक देश के शहरों में औसतन 31 फ़ीसदी आबादी 1 कमरे के मकान में रहती है लेकिन महाराष्ट्र के शहरों में तकरीबन आधी आबादी 1 कमरे में है या फिर बेघर है. मुंबई की आबादी तकरीबन 2 करोड़ है, लेकिन एशिया का सबसे बड़ा स्लम धारावी भी यहीं है जहां 10 लाख लोग रहते हैं। महाराष्ट्र में जनसंख्या घनत्व 73000 लोग प्रति स्क्वायर किलोमीटर है. यहां 1 लाख 8 हज़ार मामले आ चुके है।
राजधानी दिल्ली में भी कोरोना के मामलो में बेहताशा बढ़ोतरी हो रही है। सेंसस की रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली के शहरी इलाको में 40 फीसदी आबादी 1 कमरे के मकान में रहती है या फिर बेघर है। अंदाज़ा लगाना आसान है कि 2 करोड़ की आबादी वाले शहर की बड़ी आबादी एक कमरे में गुज़र बसर कर रही है। दिल्ली का जनसँख्या घनत्व 30 हज़ार लोग पर स्क्वायर किलोमीटर है जहां 41 हज़ार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। कोरोना संक्रमण के मामले में तमिलनाडु दूसरे नंबर पर है. यहां भी 41 फीसदी आबादी शहरों में 1 कमरे में रहती है या बेघर है। तमिलनाडु में अब तक 44660 मामले आ चुके हैं। इन तीनों राज्यों की तुलना केरल से की जाए तो एक नई तस्वीर उभरकर सामने आती है. केरल में केवल 2.5 फीसदी परिवार 1 कमरे के घर में रहते है और इस राज्य के शहरों में कोई बेघर नहीं है. यहां यह जानना ज़रूरी है कि केरल देश का वो राज्य है जो कोरोना को रोकने में कामयाब हुआ है. ज़ाहिर है कोरोना को हराने के सबसे कारगर हथियार सोशल डिस्टेंसिंग केरल में तो मुमकिन है लेकिन दिल्ली मुंबई जैसे शहरों में नहीं. यही वजह है कि दिल्ली मुंबई जैसे शहरों में संक्रमण बेतहाशा फैल गया.
राजधानी दिल्ली में भी कोरोना के मामलो में बेहताशा बढ़ोतरी हो रही है। सेंसस की रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली के शहरी इलाको में 40 फीसदी आबादी 1 कमरे के मकान में रहती है या फिर बेघर है। अंदाज़ा लगाना आसान है कि 2 करोड़ की आबादी वाले शहर की बड़ी आबादी एक कमरे में गुज़र बसर कर रही है। दिल्ली का जनसँख्या घनत्व 30 हज़ार लोग पर स्क्वायर किलोमीटर है जहां 41 हज़ार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। कोरोना संक्रमण के मामले में तमिलनाडु दूसरे नंबर पर है. यहां भी 41 फीसदी आबादी शहरों में 1 कमरे में रहती है या बेघर है। तमिलनाडु में अब तक 44660 मामले आ चुके हैं। इन तीनों राज्यों की तुलना केरल से की जाए तो एक नई तस्वीर उभरकर सामने आती है. केरल में केवल 2.5 फीसदी परिवार 1 कमरे के घर में रहते है और इस राज्य के शहरों में कोई बेघर नहीं है. यहां यह जानना ज़रूरी है कि केरल देश का वो राज्य है जो कोरोना को रोकने में कामयाब हुआ है. ज़ाहिर है कोरोना को हराने के सबसे कारगर हथियार सोशल डिस्टेंसिंग केरल में तो मुमकिन है लेकिन दिल्ली मुंबई जैसे शहरों में नहीं. यही वजह है कि दिल्ली मुंबई जैसे शहरों में संक्रमण बेतहाशा फैल गया.
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