कच्चे तेल की क़ीमतों में रिकॉर्ड गिरावट होने के बावजूद पेट्रोल-डीज़ल के दाम कम क्यों नहीं होते?
कोरोना महामारी के दौर में जब लोगों की जेबें खाली हैं, तब पेट्रोल-डीज़ल की क़ीमतें लगातार बढ़ रही हैं. पिछले सात दिनों में पेट्रोल-डीज़ल के दाम में लगभग चार रुपए की बढ़ोतरी हो चुकी है. मुंबई और भोपाल में एक लीटर पेट्रोल 82 रुपए के हिसाब से बिक रहा है.
पेट्रोल-डीज़ल की क़ीमतों में लगातार बढ़ोतरी की वजह यह है कि तेल कंपनियां अब रोज़ाना पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों की समीक्षा कर रही हैं. पेट्रोल-डीज़ल के दाम अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दाम के आधार पर तय होते हैं लेकिन आंकड़े बताते हैं कि कच्चे तेल के दाम में रिकॉर्ड गिरावट होने के बावजूद पेट्रोल-डीज़ल की क़ीमतें उस अनुपात में नहीं घटीं.
इस साल एक जनवरी को कच्चे तेल की कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल थी तब दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल 75 रुपए 18 पैसे के हिसाब से बिक रहा था तो डीज़ल की कीमत 68.00 रुपए थी. एक मई में कच्चे तेल की क़ीमत 31 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई थी तब दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल 69 रुपए 59 पैसे थे और डीज़ल 62 रुपए 29 पैसे में बिक रहा था. यहां यह ग़ौर करने वाली बात है कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की क़ीमत में रिकॉर्ड गिरावट आई लेकिन तेल कंपनियों ने पेट्रोल डीज़ल के दाम नहीं घटाए. वीडियो देखिए 13 जून को कच्चे तेल की क़ीमत 36.56 डॉलर प्रति बैरल रिकॉर्ड की गई, तब दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 75 रुपए 16 पैसे और एक लीटर डीजल 73 रुपए 39 पैसे के हिसाब से बिक रहा है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब कच्चे तेल की कीमतें टूटती हैं तो तेल कंपनियां उसी अनुपात में पेट्रोल-डीज़ल के दाम तेल कंपनियां क्यों नहीं घटातीं ? क्या लॉकडाउन और मंदी के दौर भी सरकार अपना खज़ाना आम आदमी की जेब से भरना चाहती है?
इस साल एक जनवरी को कच्चे तेल की कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल थी तब दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल 75 रुपए 18 पैसे के हिसाब से बिक रहा था तो डीज़ल की कीमत 68.00 रुपए थी. एक मई में कच्चे तेल की क़ीमत 31 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई थी तब दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल 69 रुपए 59 पैसे थे और डीज़ल 62 रुपए 29 पैसे में बिक रहा था. यहां यह ग़ौर करने वाली बात है कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की क़ीमत में रिकॉर्ड गिरावट आई लेकिन तेल कंपनियों ने पेट्रोल डीज़ल के दाम नहीं घटाए. वीडियो देखिए 13 जून को कच्चे तेल की क़ीमत 36.56 डॉलर प्रति बैरल रिकॉर्ड की गई, तब दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 75 रुपए 16 पैसे और एक लीटर डीजल 73 रुपए 39 पैसे के हिसाब से बिक रहा है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब कच्चे तेल की कीमतें टूटती हैं तो तेल कंपनियां उसी अनुपात में पेट्रोल-डीज़ल के दाम तेल कंपनियां क्यों नहीं घटातीं ? क्या लॉकडाउन और मंदी के दौर भी सरकार अपना खज़ाना आम आदमी की जेब से भरना चाहती है?
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