वाइल्डलाइफ सर्विस अवार्ड से सम्मानित वन अधिकारी भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरा
वाइल्डलाइफ सर्विस अवार्ड पाने वाले असम में तैनात वन अधिकारी अब भ्रष्टाचार के आरोपों के घेरे में है। कारबी आंगलोंग जंगलो में तैनात मुख्य वन संरक्षक अभिजीत राभा पर अब 4 करोड़ से ज्यादा की अवैध संपत्ति रखने के आरोप लगे है। इस कार्रवाई के बाद अब उनके द्वारा वन्य जीवों के लिए कार्य भी भी सवालों के घेरे में है।
जंगलो में अवैध गतिविधियों को रोकने और वन्य जीवों के संगरक्षण के लिए पुरस्कृत असम के कारबी आंगलोंग में तैनात मुख्य वन संरक्षक अभिजीत राभा पर अब भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। दरअसल, डायरेक्टरेट ऑफ़ विजिलेंस एंड एंटी-करप्शन ने राभा के खातों में भारी रक़म जमा होने की जानकारी मिलने के बाद 7 फरवरी को उनके घर छापा मारा था। आरोप है कि अभिजीत के बैंक अकाउंट्स में 2011 से 2016 के बीच अनजान खातों से 4.13 करोड़ रूपए जमा कराए गए थे।
अभिजीत राभा को 20 दिसंबर 2019 को ही मुंबई में वाइल्डलाइफ सर्विस अवार्ड से नवाज़ा गया था। ये प्रतिष्ठित पुरस्कार भारत में वन्यजीवों और उनके प्राकृतिक आवासों के संरक्षण का काम करने वाले व्यक्तियों के योगदान को सराहने के लिए दिया जाता है। लेकिन एंटी करप्शन विभाग की जांच से राभा का अज्ञात खातों के साथ कनेक्शन और उनका काम सवालों के घेरे में है। एक सार्वजनिक सेवक होने के नाते राभा के ख़िलाफ़ वर्ष 2011 से 2017 तक अवैध रूप से अपने पास 4.11 करोड़ की संपत्ति जमा रखने के चलते धारा 13 (1) (बी) और धारा 13 (2) के तहत मुक़दमा दर्ज़ किया गया है। इसी जांच के दौरान राभा के पास से भारी संपत्ति और अकाउंट्स में जमा राशि की डिटेल्स मिली जिसके लिए वे कथित तौर पर किसी भी क़ानूनी स्रोत का कोई भी ठोस सबूत नहीं दे पाए।
अभिजीत राभा को 20 दिसंबर 2019 को ही मुंबई में वाइल्डलाइफ सर्विस अवार्ड से नवाज़ा गया था। ये प्रतिष्ठित पुरस्कार भारत में वन्यजीवों और उनके प्राकृतिक आवासों के संरक्षण का काम करने वाले व्यक्तियों के योगदान को सराहने के लिए दिया जाता है। लेकिन एंटी करप्शन विभाग की जांच से राभा का अज्ञात खातों के साथ कनेक्शन और उनका काम सवालों के घेरे में है। एक सार्वजनिक सेवक होने के नाते राभा के ख़िलाफ़ वर्ष 2011 से 2017 तक अवैध रूप से अपने पास 4.11 करोड़ की संपत्ति जमा रखने के चलते धारा 13 (1) (बी) और धारा 13 (2) के तहत मुक़दमा दर्ज़ किया गया है। इसी जांच के दौरान राभा के पास से भारी संपत्ति और अकाउंट्स में जमा राशि की डिटेल्स मिली जिसके लिए वे कथित तौर पर किसी भी क़ानूनी स्रोत का कोई भी ठोस सबूत नहीं दे पाए।
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