चीन विरोधी माहौल के चलते क्या महंगा सामान ख़रींगे भारतीय ?
चीनी कंपनियों और उत्पादों के बहिष्कार की मुहिम के बीच देश को आत्मनिर्भर बनाने का अभियान चलाया जा रहा है. पीएम मोदी अपने भाषण में साफ कर चुके हैं कि भारत को आत्मनिर्भर बनाना होगा.
हालांकि केंद्र सरकार इस तरह के कई अभियान ज़ोर-शोर से शुरू करके उन्हें ठंडे बस्ते में डाल चुकी है. इनमें मेक इन इंडिया सबसे पहले आता है. कहा जा रहा है कि मेक इन इंडिया के फेल होने पर इसकी रीपैकेजिंग की गई है और इसे आत्मनिर्भर भारत अभियान का नाम दिया गया है.
वीडियो देखिए आंकड़े बताते हैं कि साल 2013 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ रेट 4.8 फीसदी थी जो साल 2019 में लुढ़ककर 3.9 फीसदी रह गयी है. वेबसाइट स्टैटिस्टा के मुताबिक दुनिया में चीन के बाद सबसे बड़ा एक्सपोर्टर अमेरिका है. साल 2019 में चीन ने 2499 बिलियन डॉलर का माल एक्सपोर्ट किया तो अमेरिका ने 1645 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट दर्ज़ किया था. सवाल यह है कि चीन के सस्ते उत्पाद ख़रीदने के आदी हो चुके भारतीय महंगे अमरीकी उत्पाद खरीद सकेंगे. इसी तरह जर्मनी (1489 बिलियन डॉलर ), नीदरलैंड (709 बिलियन डॉलर), जापान (705 बिलियन डॉलर ) और फ्रांस (569 बिलियन डॉलर ) दुनिया के टॉप एक्सपोर्टर हैं लेकिन इनके उत्पाद चीन के मुक़ाबले महंगे होते हैं. इस लिस्ट में भारत 324 बिलियन डॉलर के साथ 18वें नंबर पर आता है. सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या भारत चीन को दरकिनार करते हुए इन बड़े मैन्युफैक्चरिंग देशों से सामान आयात कर सकता है. सब जानते हैं कि चीन पिछले कुछ सालों में दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग हब बनकर उभरा है. वजह उनके सामानों की कम कीमत होना है। भारत को सही मायने में आत्मनिर्भर होने के लिए अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को बढ़ाना ही होगा। वरना चीन के अलावा उसके पास दूसरा कोई विकल्प फिलहाल नज़र नहीं आता.
वीडियो देखिए आंकड़े बताते हैं कि साल 2013 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ रेट 4.8 फीसदी थी जो साल 2019 में लुढ़ककर 3.9 फीसदी रह गयी है. वेबसाइट स्टैटिस्टा के मुताबिक दुनिया में चीन के बाद सबसे बड़ा एक्सपोर्टर अमेरिका है. साल 2019 में चीन ने 2499 बिलियन डॉलर का माल एक्सपोर्ट किया तो अमेरिका ने 1645 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट दर्ज़ किया था. सवाल यह है कि चीन के सस्ते उत्पाद ख़रीदने के आदी हो चुके भारतीय महंगे अमरीकी उत्पाद खरीद सकेंगे. इसी तरह जर्मनी (1489 बिलियन डॉलर ), नीदरलैंड (709 बिलियन डॉलर), जापान (705 बिलियन डॉलर ) और फ्रांस (569 बिलियन डॉलर ) दुनिया के टॉप एक्सपोर्टर हैं लेकिन इनके उत्पाद चीन के मुक़ाबले महंगे होते हैं. इस लिस्ट में भारत 324 बिलियन डॉलर के साथ 18वें नंबर पर आता है. सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या भारत चीन को दरकिनार करते हुए इन बड़े मैन्युफैक्चरिंग देशों से सामान आयात कर सकता है. सब जानते हैं कि चीन पिछले कुछ सालों में दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग हब बनकर उभरा है. वजह उनके सामानों की कम कीमत होना है। भारत को सही मायने में आत्मनिर्भर होने के लिए अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को बढ़ाना ही होगा। वरना चीन के अलावा उसके पास दूसरा कोई विकल्प फिलहाल नज़र नहीं आता.
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