जामिया मिल्लिया इस्लामिया में छात्र और प्रशासन के बीच जारी टकराव झड़प में बदल गया
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में छात्र और प्रशासन के बीच जारी टकराव झड़प में बदल गया. शांतिपूर्ण तरीक़े से वीसी ऑफ़िस के बाहर 10 दिन से प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर 22 अक्टूबर की शाम हमला हो गया. छात्रों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने बाहर से अराजक तत्वों को बुलवाकर उनपर हमला करवाया. इस झड़प में कई छात्र ज़ख़्मी हुए हैं.
इस मारपीट के अगले दिन यानी बुधवार को जामिया के हज़ारों छात्रों ने कैंपस में मार्च निकाला और यूनिवर्सिटी प्रशासन के ख़िलाफ़ मुर्दाबाद के नारे लगाए. आरजेडी सांसद मनोज झा समेत तमाम छात्र संगठनों ने जामिया प्रशासन की इस कार्रवाई की निंदा की है. मनोज झा ने ट्वीट किया कि वीसी नजमा अख़्तार के दफ़्तर के बाहर शांतिपूर्ण तरीक़े से विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर जामिया प्रशासन ने क्रूर कार्रवाई की.
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में यह टकराव अक्टूबर के पहले हफ्ते में शुरु हुआ जब यहां दो दिवसीय ग्लोबल हेल्थ ज़ेनिथ कॉनफ्लूएंस का आयोजन हुआ. इस कार्यक्रम में सहयोगी देश के रूप में इज़रायल पार्टनर था जिसका जामिया के छात्र विरोध कर रहे थे. इससे नाराज़ जामिया प्रशासन ने पांच छात्रों को शो कॉज़ नोटिस जारी कर दिया तो छात्रों का गुस्सा और बढ़ गया. छात्र 14 अक्टूबर से कैंपस में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हुए शो कॉज़ नोटिस रद्द करने की मांग कर रहे थे लेकिन 22 अक्टूबर की शाम इनपर हमला हो गया. छात्र संगठनों का कहना है कि मौजूदा सरकार में विश्वविद्यालयों में संघर्ष लोकतांत्रिक आवाज़ों पर हमला बढ़ा है.
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में यह टकराव अक्टूबर के पहले हफ्ते में शुरु हुआ जब यहां दो दिवसीय ग्लोबल हेल्थ ज़ेनिथ कॉनफ्लूएंस का आयोजन हुआ. इस कार्यक्रम में सहयोगी देश के रूप में इज़रायल पार्टनर था जिसका जामिया के छात्र विरोध कर रहे थे. इससे नाराज़ जामिया प्रशासन ने पांच छात्रों को शो कॉज़ नोटिस जारी कर दिया तो छात्रों का गुस्सा और बढ़ गया. छात्र 14 अक्टूबर से कैंपस में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हुए शो कॉज़ नोटिस रद्द करने की मांग कर रहे थे लेकिन 22 अक्टूबर की शाम इनपर हमला हो गया. छात्र संगठनों का कहना है कि मौजूदा सरकार में विश्वविद्यालयों में संघर्ष लोकतांत्रिक आवाज़ों पर हमला बढ़ा है.
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