मदुरै में चमेली के फ़ूलों की कीमत पहुंची तीन हजार से ऊपर
तमिलनाडु के मदुरै में इन दिनों चमेली के फ़ूलों की कीमत आसमान पर पहुंच गई है. कुछ दिनों पहले तक जहां जैस्मीन के फ़ूल 1500-1800 रुपए किलो बिक रहे थे. वहीं मंगलवार को इनकी कीमत अचानक 3 हजार रुपए से ऊपर पहुंच गई है. जिसकी वजह से ना तो खरीदार इनको खरीद रहे हैं. और ना ही बेचने वाले इनको कम दाम में बेच पा रहे हैं.
दुकनदारों के मुताबिक लगातार हो रही बारिश की वजह से चमेली फ़ूलों की कीमत में बढोत्तरी हुई है. बारिश की वजह से पौधे से फ़ूल झड़ के गिर गये हैं. जिसकी वजह से फसल को काफी नुकसान हुआ है.
जैस्मीन के फ़ूलों की खेती मदुरै के उसिलामपट्टी, थोट्टप्पनयाकुरन, पूचीपट्टी, उत्तपनायकनूर में बड़े पैमाने पर की जाती है. और यहां से चमेली के फ़ूलों का निर्यात सिंगापुर,मलेशिया, दुबई में बड़े पैमाने पर किया जाता हैं. लेकिन पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश की वजह से फ़ूलों की पैदावार में कमी आई हैं. जिसकी वजह से निर्यात तो घटा है. साथ ही जैस्मीन के फ़ूलों की कीमत बढ़कर 3 हजार से 3500 रुपए पहुंच गई है. इन फूलों इस्तमाल मंदिरों में होने के साथ ही, गजरे, और फ़ूलोंके गहने बनाने में भी होता है. तमिलनाडु में 20 हजार हेक्टेयर से ज्यादा हिस्से में जैस्मीन के फ़ूलों की खेती की जाती है. जिससे किसान 60 हजार टन जैस्मीन का सालाना उत्पादन करते हैं. सिर्फ मदुरै में अकेले 20 हजार किसान जैस्मीन की खेती करते हैं. लेकिन बारिश की बेमौसम मार का खमियाजा अब फ़ूलों की खेती करने वाले किसानों को भी झेलना पड़ रहा हैं.
जैस्मीन के फ़ूलों की खेती मदुरै के उसिलामपट्टी, थोट्टप्पनयाकुरन, पूचीपट्टी, उत्तपनायकनूर में बड़े पैमाने पर की जाती है. और यहां से चमेली के फ़ूलों का निर्यात सिंगापुर,मलेशिया, दुबई में बड़े पैमाने पर किया जाता हैं. लेकिन पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश की वजह से फ़ूलों की पैदावार में कमी आई हैं. जिसकी वजह से निर्यात तो घटा है. साथ ही जैस्मीन के फ़ूलों की कीमत बढ़कर 3 हजार से 3500 रुपए पहुंच गई है. इन फूलों इस्तमाल मंदिरों में होने के साथ ही, गजरे, और फ़ूलोंके गहने बनाने में भी होता है. तमिलनाडु में 20 हजार हेक्टेयर से ज्यादा हिस्से में जैस्मीन के फ़ूलों की खेती की जाती है. जिससे किसान 60 हजार टन जैस्मीन का सालाना उत्पादन करते हैं. सिर्फ मदुरै में अकेले 20 हजार किसान जैस्मीन की खेती करते हैं. लेकिन बारिश की बेमौसम मार का खमियाजा अब फ़ूलों की खेती करने वाले किसानों को भी झेलना पड़ रहा हैं.
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