अर्थव्यवस्था के लिए ख़तरे की घंटी बजी, औद्योगिक उत्पादन शून्य से कम हुआ
सुस्त रफ़्तार में चल रही भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में दाख़िल हो चुकी है. इस सच्चाई पर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के ताज़ा आंकड़ों ने मुहर लगा दी है. नए आकड़ों के मुताबिक इस साल अगस्त में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर -1.1 दर्ज की गई. यानी यह शून्य से नीचे जा चुकी है. इसका सीधा मतलब है कि देश में औद्योगिक उत्पादन दर बढ़ने की बजाय घट गई और फरवरी 2013 के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है.
केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था में सुस्ती या मंदी के दावों को बार-बार नकारती है लेकिन अर्थव्यवस्था के जुड़े आंकड़े सरकारी दावों के उलट हैं. अर्थव्यवस्था के जानकार इसके लिए नोटबंदी और बिना तैयारी के लागू हुई जीएसटी को ठहराते हैं.
अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां भी अपनी रिपोर्ट्स में साफ़ इशारा कर चुकी हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुज़र रही है. हाल ही में क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने 2019-2020 के लिए जीडीपी की अनुमानित वृद्धि दर 6.2 फ़ीसदी से घटाकर 5.8 कर दी है. ग्लोबल कॉम्पटेटिवनेस इंडेक्स में भारत 10 पायदान नीचे लुढ़क चुका है.