आंबेडकर की मूर्तियों पर हमलों का दौर जारी, अब तमिलनाडु में तोड़ी गई मूर्ति
तमिलनाडु के नागापट्टम के वेदारण्यम में दो गुटो में हुई झड़प के बीच अंबेडकर की मूर्ति तोड़ने के मामले से बवाल और बढ़ गया है। सोमवार को कोयंबटूर बस अड्डे पर एक तमिल समूह ने पत्थर फेंके, इस पत्थरबाजी में दो बसों के शीशे टूट गए लेकिन इस घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। महापुरुषों की प्रतिमाएं तोड़ने की ये कोई पहली घटना नहीं है। बीजेपी सरकार के आने के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों से इस तरह की घटनाएं सामने आते रहना एक आम बात हो गया है।
बता दें कि साल 2019 अगस्त में यूपी के सैनी क्षेत्र के रामपुर धमावां गांव में अनुसूचित जाति के लोगों ने डॉ. भीमराव आंबेडकर और भगवान बुद्ध की मूर्ति स्थापित की थी, जिसे रात के वक्त अराजक तत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दिया। अगस्त में ही आजमगढ़ के दो गांवो मिर्जा आदमपुर और श्रीकांतपुर गांव में अंबेडकर की प्रतिमा तोड़ने का मामला सामने आया था जिसके बाद इलाके में भारी तनाव की स्थिती बन गई थी।
साल 2018 अप्रैल में मध्यप्रदेश के सतना और भिंड में अंबेडकर की मूर्तियों के साथ तोड़-फोड़ की गई थी। इसके बाद उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में बाबा साहेब अंबेडकर की मूर्तियां क्षतिग्रस्त करने की घटनाएं सामने आईं थीं। अप्रैल में ही राजस्थान के राजसमंद में बापू की प्रतिमा को भी नुकसान पहुंचाया गया।
त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव के वक्त माकपा के हारने के बाद रुसी क्रांति और वामपंथी विचारधारा के प्रतीक माने जाने वाले व्लादिमीर लेनिन की प्रतिमा को जेसीबी मशीन से ढहा दिया गया था। जिसके बाद देश के विभन्न हिस्सों में महानायको की मूर्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। तमिलनाडु में पेरियार की प्रतिमा तोड़ी गई।
पश्चिम बंगाल में श्याम प्रसाद मुखर्जी की मूर्ति पर कालिख पोती गई। केरल में महात्मा गाधी की प्रतिमा को नुकासान पहुचाया गया। साल 2018 में जयपुर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर कालिख पोतने और उस पर आईएसआई जिंदाबाद के नारे लिखने से सनसनी फैल गई है।
लगातार सामने आ रही मूर्तिकांड की घटनाओं को देखते हुए सरकार ने कदम उठाया था कि महानायको की मूर्ति के पास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किया जाएगा, जो भी ऐसा करेगा उसे बख्शा नहीं जाएगा लेकिन आए दिन सामने आ रही इस तरह की घटनाओं को देखकर आप अंदाजा लगा सकते है कि सरकार इस मामले में कितनी गम्भीर है।