फिर से प्रदुषित होने वाली है दिल्ली की आबोहवा, मौसम विभाग ने लगाए अनुमान

by Arushi Pundir Oct 06, 2019 • 09:20 PM Views 8339

अक्टूबर को दूसरे हफ्ते में कोपेनहेगेन में प्रदूषण पर होने जा रहे आयोजन में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कोपेनहेगेन में ये बताने वाले हैं कि दिल्ली की हवा को उन्होंने कैसे साफ किया और उन्हें ऐसा करने में क्या चुनौतियां पेश आईं. कोपेनहेगेन में प्रदूषण  की समस्या को लेकर हो रहे एक आयोजन में दुनियाभर के 20 ऐसे नेता शामिल हो रहे हैं, जिन्होंने अपने मेगाशहरों में प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए काम किया है. लेकिन हो सकता है कि जब अरविंद केजरीवाल कोपेनहेगेन में दुनिया को प्रदूषण से निपटने की सलाह दे रहे हों, उसी दौरान दिल्ली की हवा प्रदूषित हो चुकी हो.

हाल ही में मौसम विभाग ने कहा है कि अब दिल्ली की आबो-हवा फिर से बदलने वाली है। मौसम विभाग का अनुमान है कि  दिल्ली में हवा बहने की दिशा बदलकर उत्तरपश्चिम हो जाएगा और पश्चिमी इलाकों में पराली जलाने की वजह से पैदा होने वाला धुआं दिल्ली की हवा को अपनी जद में ले लेगा।हवा का रुख बदलने के बाद 15 अक्टूबर से दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है जो कि दिल्ली में हवा की गुणवत्ता को Moderate Category से Poor में पहुंचा देगा।   

DPCC के अनुसार सिंतबर का महीना दिल्लीवासियों के लिए पिछले 9 साल में सबसे साफ हवा की गुणवत्ता वाला महीना रहा है। सिंतबर के पूरे महीने में दिल्ली का AQI Good category यानि 0- 50 AQI तक देखा गया था लेकिन अक्टूबर के पहले हफ्ते में ही ये Good category से लुढ़क कर Moderate category यानि 101 से 200 तक है। वहीं दिल्ली के कुछ इलाके ऐसे भी है जहां का AQI Poor category यानि 201 से 300 तक पहुंच गया है।

दिल्ली में जिन इलाकों की हवा Good category से Moderate category पर आई है उनमें Dhirpur, Delhi University, Pusa Road, Lodhi Road, Airport T3, IIT Delhi, Mathura Road, Gurugram और Noida भी इसमें शामिल है। जबकि Chandani Chowk और उसके आसपास के इलाकों की हवा Poor category में आ चुकी है.

इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने पिछले साल अपनी एक स्टड़ी में बताया था कि पराली के कारण दिल्ली में हवा की गुणवत्ता WHO के सुरक्षित मानक से 20% बदत्तर हो चुकी है. दिल्ली/NCR में 12 फीसद प्रदूषण सिर्फ पराली से फैल रहा है। लेकिन सबसे बड़ी समस्या कन्सट्रक्शन से फैलने वाले प्रदूषण से है जिसपर काबू पाने के लिए कारग़र क़दम नहीं उठाए गए है.।