150 देशों के लाखों स्कूली बच्चे सड़कों पर क्यों उतरे?
दुनियाभर में लाखों बच्चे शुक्रवार को अपने स्कूलों से गैरहाज़िर रहे. इन बच्चों ने एक दिन क्लासरूम में गुज़ारने की बजाय सड़क पर उतरना ज़रूरी समझा. मुद्दा था जलवायु परिवर्तन जिसकी तपिश दुनियाभर में महसूस की जा रही है. 23 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र का जलवायु परिवर्तन पर सम्मेलन होने वाला है. उससे पहले सड़कों पर उतरे ये स्टूडेंट्स जताना चाहते हैं कि दुनिया जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे पर महज़ खानापूर्ति न करे.
यह प्रदर्शन दुनिया के 150 देशों में हो रहा है और लाखों स्टूडेंट्स सड़कों पर है. उन्होंने अपने इस ग्लोबल कैंपेन को फ्राइडेज़ फॉर फ्यूचर नाम दिया है. भारत में भी कई शहरों में स्टूडेंट्स सड़कों पर उतरे हैं. जलवायु परिवर्तन की दिशा में ये अब तक का दुनिया का सबसे बड़ा आंदोलन है. ये 20 सितंबर को शुरू हुआ और 27 सितंबर तक जारी रहेगा.
इस आंदोलन की अगुवा 16 साल की एक स्वीडिश स्टूडेंट ग्रेटा टुनबर्ग हैं. ग्रेटा ने पिछले साल क्लासरूम से गैरहाज़िर रहकर स्वीडिश संसद के सामने विरोध जताया था. इस साल यह आंदोलन 150 देशों में फैल चुका है.