उत्तर प्रदेश: सैफई मेडिकल कॉलेज में रैगिंग के दौरान सीनियर्स ने 150 नए छात्रों के बाल मुंडवाए

by Arushi Pundir Aug 21, 2019 • 07:18 PM Views 852

रैगिंग के मामलों को बेशक सख़्ती से निपटा गया हो लेकिन अभी भी देश के बड़े-बड़े इंस्टीट्यूट्स में स्टूडेंट्स की रैगिंग जारी है। रैंगिंग की ऐसी ही तस्वीर इटावा के सैफई मेडिकल कॉलेज से आई है। 

रैगिंग के नाम पर सीनियर्स ने जबरदस्ती फर्स्ट इयर के छात्रों के बाल कटवाकर इन्हें गंजा होने पर मजबूर किया। रैंगिंग के शिकार कम से कम 150 स्टूडेंट्स हैं जो रोजाना अपने हॉस्टल से एक लाइन में एकसाथ कॉलेज में दाखिल हो जाते हैं। मेडिकल परीक्षा पास करके डॉक्टर बनने आए फर्स्ट ईयर के स्टूडेंटस के साथ क्लास शुरु होने से पहले ये रैंगिंग हुई।

बताया जा रहा है कि सीनियर स्टूडेंट्स ने इनके लिए रैगिंग के नाम पर कुछ ऑर्डर जारी किए कि जूनियर्स को क्या पहनना है, कैसे चलना है, रास्ते में कैसे व्यवहार करना है, क्लास में कैसे जाना है।वहीं इस संबंध में सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ. राजकुमार ने कहा कि कैंपस में रैगिंग की इजाजत नहीं है। अगर बच्चों के साथ रैगिंग हुई है या उन्हें परेशान किया जा रहा है तो वो एक्शन लेंगे।

साल 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में  रैगिंग के मामलों से निपटने के लिए एक कमेटी का गठन किया था, जिसके बावजूद पिछले साल यूजीसी के सामने रैगिंग की 3,022 मामले आए। 

कॉलेज और विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ़ से सख़्त कदम न उठाने की वज़ह से रैगिंग के मामलों में पिछले कुछ साल में तेज़ी आई है। साल 2013 में रैगिेग के 640 मामले सामने आए थे, जो कि साल 2016 में बढ़कर 515 हुए और साल 2017 रैगिंग के मामले और बढ़कर 901 हो गए। हालांकि दर्ज किये गए रैगिंग के मामले सबसे ज्यादा 15% उत्तर प्रदेश के हैं।

उत्तर प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडीशा और बिहार से रैगिंग के मामवे सामने आए हैं। जबकि रैगिंग के शिकायतों में साल 2015 से 2018 के बीच सिर्फ 338 छात्रों को ससपेंड किया गया है।