कोरोना का ख़तरा बढ़ने की आशंका, भारतीय कंपनियों से विदेशी निवेशक निकाल रहे पैसा
देश पहले आर्थिक मंदी से जूझ रहा था और अब महामारी की चपेट में है. इस बीच आए नए आंकड़े बताते हैं कि देश की कंपनियों पर वैश्विक स्तर पर भरोसा कम हुआ है और पिछले पांच महीनों से दुनियाभर के निवेशक भारत के कॉरपोरेट बॉन्डों में अपनी हिस्सेदारी घटा रहे हैं.
नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड के आंकड़ों के मुताबिक भारतीय कंपनियों के ग्लोबल निवेश में पिछले पांच महीनों में लगभग 1.59 लाख करोड़ की गिरावट दर्ज की गई है।निवेशकों के भारत से मोह भंग होने की सबसे बड़ी वजह है कोरोनावायरस जिसका आंकड़ा देश में 4 लाख के पास पहुंच गया है.
निवेशकों को चिंता है अगर इसी तरह मामले बढ़ते रहे तो बहुत जल्द भारत का कमजोर स्वास्थ्य ढांचा चरमरा जायेगा और हालात काबू से बाहर हो जायेंगे। यही वजह है कि निवेशक भारत की कंपनियों पर भरोसा नहीं बना पा रहे हैं। कई भारतीय कंपनियां पैसों की कमी के चलते खुद को सिकोड़ती नज़र आ रही है। लेबर, बैंक क्रेडिट, छंटनी, सरकार से मदद, इनवेस्टमेंट, कम कैपिटल वग़ैरह की कमी के चलते कंपनियां ग्रोथ से दूर रह गई हैं. इस साल रिकॉर्ड कॉरपोरेट बॉन्ड की गिरावट के साथ पहले से जूझ रही कपानियों के लिए आगे भी मुश्किलें बढ़ गई हैं। दूसरी तरफ रेटिंग कंपनियां भी आर्थिक मोर्चे पर भारत को लगातार चेतावनी दे रही हैं। फिच रेटिंग्स ने गुरुवार को भारत की रेटिंग पर अपने नज़रिये को फिर एक बार नकारात्मक में बदल दिया है। फिच ने कहा कि महामारी ने विकास की दर को काफी कमजोर कर दिया है। इसी तरह मूडीज ने भी इस महीने की शुरुआत में देश की रेटिंग घटा दी थी और अपना नकारात्मक दृष्टिकोण रखा था। ऐसे में भारत के लिए इस महामारी में आए आर्थिक संकट और वैश्विक निवेश के भरोसे से उबर पाना मुश्किल लगता है क्यूंकी सरकार इसको ज़मीनी स्तर की जगह बस ऊपरी सतह पर परख कर सिर्फ घोषणाएं कर रही है।
निवेशकों को चिंता है अगर इसी तरह मामले बढ़ते रहे तो बहुत जल्द भारत का कमजोर स्वास्थ्य ढांचा चरमरा जायेगा और हालात काबू से बाहर हो जायेंगे। यही वजह है कि निवेशक भारत की कंपनियों पर भरोसा नहीं बना पा रहे हैं। कई भारतीय कंपनियां पैसों की कमी के चलते खुद को सिकोड़ती नज़र आ रही है। लेबर, बैंक क्रेडिट, छंटनी, सरकार से मदद, इनवेस्टमेंट, कम कैपिटल वग़ैरह की कमी के चलते कंपनियां ग्रोथ से दूर रह गई हैं. इस साल रिकॉर्ड कॉरपोरेट बॉन्ड की गिरावट के साथ पहले से जूझ रही कपानियों के लिए आगे भी मुश्किलें बढ़ गई हैं। दूसरी तरफ रेटिंग कंपनियां भी आर्थिक मोर्चे पर भारत को लगातार चेतावनी दे रही हैं। फिच रेटिंग्स ने गुरुवार को भारत की रेटिंग पर अपने नज़रिये को फिर एक बार नकारात्मक में बदल दिया है। फिच ने कहा कि महामारी ने विकास की दर को काफी कमजोर कर दिया है। इसी तरह मूडीज ने भी इस महीने की शुरुआत में देश की रेटिंग घटा दी थी और अपना नकारात्मक दृष्टिकोण रखा था। ऐसे में भारत के लिए इस महामारी में आए आर्थिक संकट और वैश्विक निवेश के भरोसे से उबर पाना मुश्किल लगता है क्यूंकी सरकार इसको ज़मीनी स्तर की जगह बस ऊपरी सतह पर परख कर सिर्फ घोषणाएं कर रही है।
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