विदेशी छात्रों को वापस उनके देश भेजने वाला फैसला अमेरिका ने पलटा
अमरीका ने उन विदेशी छात्रों को वापस उनके देश भेजने का अपना फ़ैसला पलट दिया है जो कोरोना महामारी के चलते अमेरिकी शिक्षण संस्थानों में ऑनलाइन क्लासेज़ ले रहे थे. बीते हफ्ते अमरीकी सरकार के इस फैसले के ख़िलाफ़ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलजी ने अदालत का रुख कर लिया था. कई संस्थानों ने इस फैसले को एकतरफ़ा क़रार देते हुए इसे सत्ता का दुरुपयोग बताया था.
अगर यह फैसला पलटा नहीं जाता तो भारत और चीन के छात्र सबसे ज़्यादा प्रभावित होते. ओपन डोर्स की 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक अकादमिक सत्र 2017-18 में अमेरिका में सबसे ज़्यादा चीन के 3 लाख 69 हज़ार 548 छात्रों ने दाख़िला लिया था. वहीं दूसरे नंबर पर भारतीय थे जिनकी संख्या 2 लाख 2 हज़ार 14 थी.
हालांकि इस मुक़दमे की सुनवाई के दौरान मैसाचुसेट्स के डिस्ट्रिक्ट जज एलिसन बरो ने बताया कि सभी पक्षों में समझौता हो गया है. समझौते के तहत मार्च में लागू की गई गाइडलाइन को फिर से लागू कर दिया गया है. इसके तहत अंतरराष्ट्रीय छात्र ऑनलाइन क्लासेज़ लेते हुए भी अमरीका में रह सकते हैं. उन्हें उनके देश वापस नहीं भेजा जाएगा.Trump administration repeals directive on international students visas
— ANI Digital (@ani_digital) July 14, 2020
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अगर यह फैसला पलटा नहीं जाता तो भारत और चीन के छात्र सबसे ज़्यादा प्रभावित होते. ओपन डोर्स की 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक अकादमिक सत्र 2017-18 में अमेरिका में सबसे ज़्यादा चीन के 3 लाख 69 हज़ार 548 छात्रों ने दाख़िला लिया था. वहीं दूसरे नंबर पर भारतीय थे जिनकी संख्या 2 लाख 2 हज़ार 14 थी.
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