'20 लाख करोड़ का पैकेज जीडीपी का सिर्फ एक फ़ीसदी है'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को ऐलान किया था कि उनकी सरकार 20 लाख करोड़ का राहत पैकेज लाने जा रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पांच प्रेस कांफ्रेंस करके इस पैकेज का ब्योरा पेश किया लेकिन इसे लेकर कोई उत्साह नहीं दिख रहा. शेयर मार्केट से रौनक पूरी तरह ग़ायब दिखी और सोमवार को सेंसेक्स में एक हज़ार अंकों से ज़्यादा की गिरावट हुई. निफ्टी और बैंकेक्स भी धराशायी हो गए.
अब कई अंतरराष्ट्रीय बैंक भी सरकार के इस पैकेज को ऊंट के मुंह में ज़ीरा बता रहे हैं. ज़्यादातर बैंकों का कहना है कि मोदी सरकार का 20 लाख करोड़ का पैकेज असल में देश की जीडीपी का केवल एक फीसदी है. वहीं पीएम मोदी ने अपने संबोधन में इसे जीडीपी का 10 फ़ीसदी हिस्सा बताया था.
एचएसबीसी के मुताबिक भारत सरकार का राहत पैकेज जीडीपी का 10 फीसदी ना होकर सिर्फ एक फीसदी है. वहीं यूबीएस ने 1.2 फीसदी, ड्यूश बैंक ने 1.1 फ़ीसदी, मॉर्गन स्टैनले ने 0.7 फ़ीसदी, एडलवाइस ने 0.9 फीसदी, जेफरीज ने 1.0 फीसदी, फिलिप कैपिटल ने 0.8 फीसदी और सिटीबैंक ने 1 फीसदी बताया है. वीडियो देखिए इस पैकेज के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुटीर लघु उद्योगों की तक़दीर बदलने के लिए तीन लाख करोड़ रुपए के कर्ज़ का ऐलान किया था. इसके अलावा कई सेक्टर्स के लिए हज़ारों करोड़ों के कर्ज़ का ऐलान हुआ. रेहड़ी-पटरी वालों तक के लिए 10-10 हज़ार रुपए के कर्ज़ का प्रावधान किया गया. कांग्रेस ने इसपर फौरन पलटवार करते हुए पूछा कि कर्ज़ देना राहत कैसे है? केंद्र सरकार को प्रवासी मज़दूरों और ग़रीब तबक़े के लिए डायरेक्ट कैश ट्रांसफर का ऐलान करना चाहिए था जोकि नहीं हुआ.
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