देश के 25 करोड़ लोग ग़रीबी रेखा के नीचे, 1000 रूपये से कम में करते हैं गुज़र बसर
कोरोनावायरस के ख़िलाफ़ जारी जंग की सबसे बड़ी कीमत देश के करोड़ों गरीब लोग चुका रहे हैं. लॉकडाउन का ऐलान होने के बाद से देश के महानगरों से लाखों ग़रीबों का पलायन जारी है जो दिहाड़ी मज़दूरी करके अपने परिवार का पेट पालते थे. कारख़ानों के बंद होने की वजह से लाखों मज़दूरों का शहर में रहना इसलिए भी मुश्किल हो गया था क्योंकि उनके बीवी-बच्चे और बूढ़े माँ बाप गांव में अपनी भूख मिटाने के लिए हर दिन संघर्ष कर रहे हैं.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 21.9 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे है. आसान भाषा में कहें तो लगभग 25 करोड़ देश की आबादी ग़रीबी रेखा के नीचे ज़िंदगी जीने को मजबूर हैं. अंरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से हर दिन 150 रुपए कमाने वाला शख़्स ग़रीबी रेखा के नीचे माना जाता है लेकिन भारत में समय-समय पर गरीबी तय करने का फॉर्मूला बदलता रहता है. केंद्र सरकार का अलग पैमाना है तो राज्यों के अलग फॉर्मूले हैं.
साल 2015 में तत्कालीन प्लानिंग कमीशन की सी रंगराजन की अध्यक्षता वाली एक कमिटी ने सुझाव दिया था कि देश में गरीबी रेखा को शहर में 47 रुपए और गांव में 32 रुपए रखा जाए. उससे पहले गांव में गरीबी रेखा 27 रुपए और शहर में 32 रुपए थी. प्लानिंग कमीशन की 2011-2012 की रिपोर्ट बताती है कि देश में सबसे ज्यादा गरीब लोग उत्तर प्रदेश में रहते हैं जहां हर एक लाख लोगों में से 538 लोग गरीबी के नीचे ज़िंदगी गुज़ारते हैं. दूसरे नंबर पर बिहार है जहां प्रति एक लाख लोगों में से 358, मध्य प्रदेश में 234, महाराष्ट्र में 197 और पश्चिम बंगाल में 184 लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं. इस रिपोर्ट में हर उस व्यक्ति को गरीब माना गया है जो एक महीने में अपने ऊपर गांव में 816 रुपए और शहर में 1000 रुपए से कम खर्च करता है. इन सभी राज्यों में सबसे ज्यादा गरीबी है और इन्हीं राज्यों से रोज़ी रोटी के लिए सबसे ज्यादा पलायन भी होता है.
साल 2015 में तत्कालीन प्लानिंग कमीशन की सी रंगराजन की अध्यक्षता वाली एक कमिटी ने सुझाव दिया था कि देश में गरीबी रेखा को शहर में 47 रुपए और गांव में 32 रुपए रखा जाए. उससे पहले गांव में गरीबी रेखा 27 रुपए और शहर में 32 रुपए थी. प्लानिंग कमीशन की 2011-2012 की रिपोर्ट बताती है कि देश में सबसे ज्यादा गरीब लोग उत्तर प्रदेश में रहते हैं जहां हर एक लाख लोगों में से 538 लोग गरीबी के नीचे ज़िंदगी गुज़ारते हैं. दूसरे नंबर पर बिहार है जहां प्रति एक लाख लोगों में से 358, मध्य प्रदेश में 234, महाराष्ट्र में 197 और पश्चिम बंगाल में 184 लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं. इस रिपोर्ट में हर उस व्यक्ति को गरीब माना गया है जो एक महीने में अपने ऊपर गांव में 816 रुपए और शहर में 1000 रुपए से कम खर्च करता है. इन सभी राज्यों में सबसे ज्यादा गरीबी है और इन्हीं राज्यों से रोज़ी रोटी के लिए सबसे ज्यादा पलायन भी होता है.
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