एंटी चाइल्ड लेबर डे: देश में आज भी करोड़ों बच्चे कर रहे मज़दूरी
पूरी दुनिया में करोड़ों बच्चे आज भी ग़रीबी के चलते बचपन से महरूम और काम करने को मज़बूर हैं। इस कड़वी सच्चाई को बदलने के लिए ही 12 जून पूरी दुनिया में 'एंटी चाइल्ड लेबर डे' के रूप में मनाया जाता है। मक़सद है पूरी दुनिया का इस समस्या की तरफ ध्यान खींचना। हालात सबसे ज़्यादा ख़राब गरीब-विकाशील देशों में है, जहां करोड़ों बच्चे अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए सड़कों, होटलों और कारख़ानों में मज़दूरी कर रहे हैं।
इंटरनेश्नल लेबर ऑर्गेनाइज़ेशन की साल 2017 की रिपोर्ट बताती है कि देश में 5-14 साल के बच्चों की तादाद 25.9 करोड़ है। इनमें एक करोड़ से भी ज़्यादा बच्चे दिहाड़ी पर मज़दूरी करते हैं। यानि बच्चों की कुल आबादी का 3.9 फीसदी। इनमें सबसे ज़्यादा बाल मज़दूरी ग्रामीण इलाक़ों में हो रहा है जहां 80.1 लाख बच्चे बाल मज़दूरी में लगे हैं।
वहीं शहरों में बाल मज़दूरों का आंकड़ा 20 लाख है। इनमें 26 फीसदी बच्चे खेती-किसानी में लगे हैं। करीब 33 फीसदी बच्चे खेतिहर मज़दूर हैं और 5.2 फीसदी घरेलू उद्योगों में मज़दूरी कर रहे हैं। बच्चों से बाल मज़दूरी कराने में यूपी का 21.5 फीसदी योगदान है। इसके बाद दूसरे नंबर पर बिहार है जहां 10.7 फीसदी, तीसरे नंबर पर राजस्थान 8.4 फीसदी, चौथे नंबर पर महाराष्ट्र 7.2 फीसदी और पांचवें नंबर पर मध्य प्रदेश है जहां कुल बाल मज़दूरों का 6.9 फीसदी है। ये राज्य कितने ग़रीब हैं, ये किसी से छुपा नहीं है। वीडियो देखिए आंकड़ों के मुताबिक़ कि देश के 4.27 करोड़ बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित हैं। इसकी वजह ग़रीबी, पढ़ाई लिखाई की कीमत ना समझना और सुविधाओं की कमी है। ज़बरदस्ती काम कराने के लिए देश में बच्चों की तस्करी के मामले भी सामने आए हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि साल 2014 से 2019 की अवधि यानि छह सालों के भीतर 3 लाख 18 हज़ार 748 बच्चे लापता हो गए। जानकार बताते हैं कि बच्चों को अगवा कर बंधुआ मज़दूर बनाकर बेचने वाले देश में कई गिरोह सक्रिय हैं। सरकार वैसे तो क़ानून बनाकर बाल श्रम को अपराध बना चुकी है लेकिन इस क़ानून की पोल सड़क किनारे ढाबे, चाय की दुकान और मोहल्ले के कारखानों में अक्सर खुलती रहती है।
वहीं शहरों में बाल मज़दूरों का आंकड़ा 20 लाख है। इनमें 26 फीसदी बच्चे खेती-किसानी में लगे हैं। करीब 33 फीसदी बच्चे खेतिहर मज़दूर हैं और 5.2 फीसदी घरेलू उद्योगों में मज़दूरी कर रहे हैं। बच्चों से बाल मज़दूरी कराने में यूपी का 21.5 फीसदी योगदान है। इसके बाद दूसरे नंबर पर बिहार है जहां 10.7 फीसदी, तीसरे नंबर पर राजस्थान 8.4 फीसदी, चौथे नंबर पर महाराष्ट्र 7.2 फीसदी और पांचवें नंबर पर मध्य प्रदेश है जहां कुल बाल मज़दूरों का 6.9 फीसदी है। ये राज्य कितने ग़रीब हैं, ये किसी से छुपा नहीं है। वीडियो देखिए आंकड़ों के मुताबिक़ कि देश के 4.27 करोड़ बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित हैं। इसकी वजह ग़रीबी, पढ़ाई लिखाई की कीमत ना समझना और सुविधाओं की कमी है। ज़बरदस्ती काम कराने के लिए देश में बच्चों की तस्करी के मामले भी सामने आए हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि साल 2014 से 2019 की अवधि यानि छह सालों के भीतर 3 लाख 18 हज़ार 748 बच्चे लापता हो गए। जानकार बताते हैं कि बच्चों को अगवा कर बंधुआ मज़दूर बनाकर बेचने वाले देश में कई गिरोह सक्रिय हैं। सरकार वैसे तो क़ानून बनाकर बाल श्रम को अपराध बना चुकी है लेकिन इस क़ानून की पोल सड़क किनारे ढाबे, चाय की दुकान और मोहल्ले के कारखानों में अक्सर खुलती रहती है।
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