विवादित नागरिकता संशोधन बिल पर कैबिनेट की मुहर, अब संसद में पेश होगा बिल
धर्म के आधार पर अवैध शरणार्थियों को नागरिकता देने वाले विवादित नागरिकता संशोधन बिल को कैबिनेट की मंज़ूरी मिल गई. कैबिनेट की मुहर लगने के बाद नागरिकता संशोधन बिल को सदन के पटल पर रखा जाएगा. अगर यह बिल संसद के दोनों सदनों से पास हो जाता है तो भारत में रह रहे अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अवैध शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता खुल जाएगा.
हालांकि इस बिल में अवैध शरणार्थियों को नागरिकता धर्म के आधार पर देने का प्रावधान है. प्रावधान के मुताबिक हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी लेकिन अगर शरणार्थी मुस्लिम धर्म का है तो उसे नागरिकता नहीं मिलेगी. हालांकि धर्म के आधार पर नागरिकता देने वाले इस प्रस्तावित क़ानून का काफी विरोध हो रहा है और संसद में भी इसपर जमकर हंगामा होने की आशंका है.
वहीं उत्तर पूर्व के कमोबेश सभी राज्यों में इस बिल का विरोध हो रहा है. केंद्र सरकार के सहयोगी दलों के अलावा विपक्षी दल, सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन और छात्र संगठन इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं. अरुणाचल प्रदेश के पूर्व सीएम नाबाम तुकी ने कहा कि अभी तक यह नहीं पता है कि देश में अवैध प्रवासी कितने हैं. बिना संख्या का पता लगाए धर्म के आधार पर नागरिकता क्यों दी जा रही है. इस बिल के पास होने से विदेशी प्रवासी अन्य राज्यों में भी फैल जाएंगे. मेघालय के पूर्व सीएम मुकुल संगमा ने कहा कि वो पूर्वोत्तर के राज्य इस बिल का शुरू से विरोध कर रहे हैं क्योंकि भविष्य में इसकी प्रतिक्रिया क्या होगी, कोई नहीं जानता. संगमा ने यह भी कहा कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 ख़त्म किए जाने के बाद स्थानीय लोग पूछ रहे है कि कहीं हमारे अधिकार भी इस तरह ख़त्म तो नहीं कर दिए जाएंगे? बीजेपी नेता और असम सरकार में मंत्री हेमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि सभी प्रतिनिधि नागरिकता संशोधन बिल के पुराने ड्राफ्ट की वजह से विरोध कर रहे हैं. अब नया ड्राफ्ट बन रहा है और यह विरोध ख़त्म हो जाएगा. पूर्वोत्तर के राज्य कह रहे हैं कि अगर धर्म के आधार पर नागरिकता दी गई तो आसपास के देशों के अवैध प्रवासी पूर्वोत्तर समेत देश के बाक़ी राज्यों में फैल जाएंगे और उनका अपनी पहचान पर संकट का ख़तरा पैदा हो जाएगा.
वहीं उत्तर पूर्व के कमोबेश सभी राज्यों में इस बिल का विरोध हो रहा है. केंद्र सरकार के सहयोगी दलों के अलावा विपक्षी दल, सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन और छात्र संगठन इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं. अरुणाचल प्रदेश के पूर्व सीएम नाबाम तुकी ने कहा कि अभी तक यह नहीं पता है कि देश में अवैध प्रवासी कितने हैं. बिना संख्या का पता लगाए धर्म के आधार पर नागरिकता क्यों दी जा रही है. इस बिल के पास होने से विदेशी प्रवासी अन्य राज्यों में भी फैल जाएंगे. मेघालय के पूर्व सीएम मुकुल संगमा ने कहा कि वो पूर्वोत्तर के राज्य इस बिल का शुरू से विरोध कर रहे हैं क्योंकि भविष्य में इसकी प्रतिक्रिया क्या होगी, कोई नहीं जानता. संगमा ने यह भी कहा कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 ख़त्म किए जाने के बाद स्थानीय लोग पूछ रहे है कि कहीं हमारे अधिकार भी इस तरह ख़त्म तो नहीं कर दिए जाएंगे? बीजेपी नेता और असम सरकार में मंत्री हेमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि सभी प्रतिनिधि नागरिकता संशोधन बिल के पुराने ड्राफ्ट की वजह से विरोध कर रहे हैं. अब नया ड्राफ्ट बन रहा है और यह विरोध ख़त्म हो जाएगा. पूर्वोत्तर के राज्य कह रहे हैं कि अगर धर्म के आधार पर नागरिकता दी गई तो आसपास के देशों के अवैध प्रवासी पूर्वोत्तर समेत देश के बाक़ी राज्यों में फैल जाएंगे और उनका अपनी पहचान पर संकट का ख़तरा पैदा हो जाएगा.
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