लॉकडाउन बढ़ने पर क्रेडिट एजेंसी इक्रा ने भारत का ग्रोथ रेट किया कम
अर्थव्यवस्थाओं पर नज़र रखने वाली क्रेडिट एजेंसियां भारतीय अर्थव्यवस्था की अनुमानित जीडीपी ग्रोथ रेट को लगातार कम करती जा रही हैं। अब क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इक्रा ने दूसरी बार भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर को नेगेटिव कर दिया है. साथ ही, यह भी कहा है कि वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी की दर -9.5 फीसदी रहेगी.
क्रा के अनुमान पर यक़ीन करें तो भारतीय अर्थव्यवस्था लगभग 10 फीसदी तक सिकुड़ने वाली है. इससे पहले इक्रा ने इसको -5 फीसदी के ग्रोथ रेट में रखा था लेकिन कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए एजेंसी ने नई रिपोर्ट ज़ारी की है.
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बढ़ते संक्रमण से लगभग सभी राज्य लॉकडाउन बढ़ा रहे है और ऐसे में अर्थव्यवस्था को संभालने में ज्यादा समय लग सकता है. इक्रा के अनुमान आमतौर पर सच के काफी करीब होते हैं जिसकी वजह से चिंताए बढ़ गई हैं. वहीं पूर्व मुख्य स्टैटीशियन प्रनब सेन ने भी अनुमान लगाया है कि इस साल अर्थव्यवस्था 12.5 फीसदी तक सिकुड़ जाएगी। इक्रा ने भारतीय अर्थव्यवस्था के इस साल की पहली तिमाही में 25 फीसदी तक सिकुड़ने का अनुमान लगाया था और बाद की तिमाहियों में धीमी रफ़्तार से रिकवरी की उम्मीद बताई थी. एजेंसी ने दूसरी तिमाही के लिए अर्थव्यवस्था में 12.4 फीसदी तक सिकुड़ने का अनुमान लगाया है। इक्रा से पहले भी कई बड़ी एजेंसी ने भारत में अर्थव्यवस्था के संकट को समय दर समय बताया है जिसमें फिच, सीआईआई, मूडीज़, इंडिया रेटिंग्स, वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ, बर्नस्टीन जैसे नाम शामिल हैं।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बढ़ते संक्रमण से लगभग सभी राज्य लॉकडाउन बढ़ा रहे है और ऐसे में अर्थव्यवस्था को संभालने में ज्यादा समय लग सकता है. इक्रा के अनुमान आमतौर पर सच के काफी करीब होते हैं जिसकी वजह से चिंताए बढ़ गई हैं. वहीं पूर्व मुख्य स्टैटीशियन प्रनब सेन ने भी अनुमान लगाया है कि इस साल अर्थव्यवस्था 12.5 फीसदी तक सिकुड़ जाएगी। इक्रा ने भारतीय अर्थव्यवस्था के इस साल की पहली तिमाही में 25 फीसदी तक सिकुड़ने का अनुमान लगाया था और बाद की तिमाहियों में धीमी रफ़्तार से रिकवरी की उम्मीद बताई थी. एजेंसी ने दूसरी तिमाही के लिए अर्थव्यवस्था में 12.4 फीसदी तक सिकुड़ने का अनुमान लगाया है। इक्रा से पहले भी कई बड़ी एजेंसी ने भारत में अर्थव्यवस्था के संकट को समय दर समय बताया है जिसमें फिच, सीआईआई, मूडीज़, इंडिया रेटिंग्स, वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ, बर्नस्टीन जैसे नाम शामिल हैं।
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