जम्मू में सरकारी कर्मचारी 6 दिनों से हड़ताल पर, 15 लाख लोगों को पानी की किल्लत
जम्मू के पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के कर्मचारी अपने वेतन और नौकरी पक्का करने की मांग को लेकर पिछले छह दिनों से हड़ताल पर है। कर्मचारियों की हड़ताल से शहर के करीब 15 लाख निवासियों के लिए पानी की समस्या पैदा हो गई है ।
जम्मू में पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग (PHE) डिपार्टमेंट के कर्मचारी 7 फरबरी से हड़ताल पर बैठकर सरकार के खिआफ़ प्रदर्शन कर रहे है। यही विभाग जम्मू के सभी बस्तियों, ग्रामीण और शहरी इलाकों में पीने के पानी की सुविधा सुनिश्चित करता है। 1994 से काम कर रहे इन कर्मचारियों का कहना है की वे पच्चीस साल से अपना काम ईमानदारी से कर रहे है, लेकिन सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों से अब उनका काम करते रहने का कोई मतलब नहीं है।
इन कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से शहर के करीब 15 लाख लोगो के लिए बहुत समस्या खड़ी हो गई हुईं। वर्कर्स की मांग है की सभी डेली वेज वर्कर्स को पक्के तौर पे काम पर रखा जाये जिसका सरकार हमेशा से वादा करती आयी है और दूसरा की पिछले चार महीने से रुका उनका वेतन उन्हें एक किश्त में दे दिया जाए। उनका कहना है की उन्हें 4 महीने से रुके उनके वेतन की वजह से उनका गुजारा मुश्किल हो गया है। सैलरी न मिलने के वजह से कई अपने बच्चों को नहीं पड़ा पा रहे तो कई लोग बिमारी का इलाज़नहीं करा रहे हैं। देखना होगा, विकास की दुहाई देकर जम्मू और कश्मीर राज्य से केंद्र शाषित प्रदेश बनाने वाली सरकार कब इन लोगो की सुध लेती है।
जम्मू में पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग (PHE) डिपार्टमेंट के कर्मचारी 7 फरबरी से हड़ताल पर बैठकर सरकार के खिआफ़ प्रदर्शन कर रहे है। यही विभाग जम्मू के सभी बस्तियों, ग्रामीण और शहरी इलाकों में पीने के पानी की सुविधा सुनिश्चित करता है। 1994 से काम कर रहे इन कर्मचारियों का कहना है की वे पच्चीस साल से अपना काम ईमानदारी से कर रहे है, लेकिन सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों से अब उनका काम करते रहने का कोई मतलब नहीं है।
इन कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से शहर के करीब 15 लाख लोगो के लिए बहुत समस्या खड़ी हो गई हुईं। वर्कर्स की मांग है की सभी डेली वेज वर्कर्स को पक्के तौर पे काम पर रखा जाये जिसका सरकार हमेशा से वादा करती आयी है और दूसरा की पिछले चार महीने से रुका उनका वेतन उन्हें एक किश्त में दे दिया जाए। उनका कहना है की उन्हें 4 महीने से रुके उनके वेतन की वजह से उनका गुजारा मुश्किल हो गया है। सैलरी न मिलने के वजह से कई अपने बच्चों को नहीं पड़ा पा रहे तो कई लोग बिमारी का इलाज़नहीं करा रहे हैं। देखना होगा, विकास की दुहाई देकर जम्मू और कश्मीर राज्य से केंद्र शाषित प्रदेश बनाने वाली सरकार कब इन लोगो की सुध लेती है।
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