PM के बयान पर IMA की आपत्ति, बयान को साबित करने या फिर माफी की मांग की
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री मोदी के एक बयान को लेकर कड़ी आपत्ति जताते हुए उनसे अपने बयान को साबित करने या फिर बयान पर माफी की मांग की है। साथ ही कहा कि अगर उनकी बात सही है तो प्रधानमंत्री को उन डॉक्टर्स के नाम भी सार्वजनिक करने चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक कथित बयान को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कड़ी आपत्ति जताते हुए उनसे अपने बयान को साबित करने या फिर बयान पर माफी की मांग की है। इसे लेकर बकायदा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक प्रेस रिलीज भी जारी की है, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री से इस बयान को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही कहा कि अगर ये बात सही है तो प्रधानमंत्री को उन डॉक्टर्स के नाम भी सार्वजनिक करने चाहिए।
IMA की प्रेस रिलीज में इस आशय की खबरों का हवाला दिया गया है कि जिममें प्रधानमंत्री मोदी ने फॉर्मा कंपनियों और डॉक्टरों के बीच सांठगांठ और रिश्वत के तौर पर महिलाओं के इस्तेमाल की बात कही थी। प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान से डॉक्टर्स में हड़कंप मच गया और अब इस पूरे मामले को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बयान पर प्रधानमंत्री से सफाई मांग रहा है। हालांकि अभी तक इस पूरे मामले को लेकर ना तो प्रधानमंत्री मोदी और ना ही प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से इस पर कोई बयान सामने आया है। वीडियो देखिये आईएमए ने कहा कि इस तरह के बयान से स्वास्थ्य समेत देश के गंभीर मसलों से ध्यान हटाने की कोशिश की जा रही है। साथ ही आईएमए ने कहा कि स्वास्थ्य को लेकर वर्तमान की मोदी सरकार की सबसे अहम योजना आयुष्मान भारत ज्यादा असरदार नहीं पाई गई है और इसका ज्यादातर इस्तेमाल सरकारी अस्पतालों में होता है, जहां इलाज पहले से ही मुफ्त है।
IMA की प्रेस रिलीज में इस आशय की खबरों का हवाला दिया गया है कि जिममें प्रधानमंत्री मोदी ने फॉर्मा कंपनियों और डॉक्टरों के बीच सांठगांठ और रिश्वत के तौर पर महिलाओं के इस्तेमाल की बात कही थी। प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान से डॉक्टर्स में हड़कंप मच गया और अब इस पूरे मामले को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बयान पर प्रधानमंत्री से सफाई मांग रहा है। हालांकि अभी तक इस पूरे मामले को लेकर ना तो प्रधानमंत्री मोदी और ना ही प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से इस पर कोई बयान सामने आया है। वीडियो देखिये आईएमए ने कहा कि इस तरह के बयान से स्वास्थ्य समेत देश के गंभीर मसलों से ध्यान हटाने की कोशिश की जा रही है। साथ ही आईएमए ने कहा कि स्वास्थ्य को लेकर वर्तमान की मोदी सरकार की सबसे अहम योजना आयुष्मान भारत ज्यादा असरदार नहीं पाई गई है और इसका ज्यादातर इस्तेमाल सरकारी अस्पतालों में होता है, जहां इलाज पहले से ही मुफ्त है।
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