जून के महीने में बारिश का 12 साल का रिकॉर्ड टूटा, जुलाई में भी जमकर बरसात हुई
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक इस साल मॉनसून ने पिछले 12 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है और जून के महीने में जमकर बरसात हुई है. आईएमडी के मुताबिक जून में कुल बारिश का लॉन्ग पीरियड एवरेज का 118 फीसदी रहा है और इसको अधिक बारिश माना जाता है। आईएमडी के सेंट्रल इंडिया सब-डिवीजन में जून में बारिश का एलपीए 131 फीसदी रहा जो सबसे ज्यादा था। सेंट्रल इंडिया सब-डिवीजन गोवा, कोंकण, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के क्षेत्र को कवर करता है।
बता दें कि देश में साल 1961-2010 तक मानसून सीजन की लॉन्ग पीरियड एवरेज बारिश 88 सेंटिमीटर था। इसमें 90-96 फीसदी के बीच की बारिश को सामान्य से कम माना जाता है और 96-104 फीसदी की रेंज में बारिश को सामान्य माना जाता है। वहीं 104 -110 फीसदी के बीच को औसत से ज्यादा माना जाता है जबकि 110 फीसदी से ऊपर अधिक वाले वर्ग में आता है।
पूर्व और उत्तर-पूर्व सब-डिवीजन में बारिश का एलपीए 116 फीसदी था जिसकी वजह से असम में बाढ़ का सामना करना पड़ा और इसी तरह बिहार में भी उम्मीद से ज्यादा बारिश हुई और कुछ इलाकों में बाढ़ जैसे संकट देखे गए। वहीं जुलाई में मानसून में अच्छी तेजी देखी गई लेकिन यहां स्थिति पिछले महीने के मुक़ाबले सुधरी हुई है. आईएमडी ने जुलाई महीने के लिए एलपीए की 103 फीसदी बारिश का अनुमान लगाया था लेकिन ये इससे ज्यादा चल रही है. लगातार भीषण बारिश से देश के अलग अलग हिस्सों में बाढ़, लैंडस्लाइड्स, वॉटरलॉगिंग की समस्या बढ़ रही है. कई राज्यों में नदियां उफान पर हैं और बिहार में कई तटबंध टूट गए हैं.
पूर्व और उत्तर-पूर्व सब-डिवीजन में बारिश का एलपीए 116 फीसदी था जिसकी वजह से असम में बाढ़ का सामना करना पड़ा और इसी तरह बिहार में भी उम्मीद से ज्यादा बारिश हुई और कुछ इलाकों में बाढ़ जैसे संकट देखे गए। वहीं जुलाई में मानसून में अच्छी तेजी देखी गई लेकिन यहां स्थिति पिछले महीने के मुक़ाबले सुधरी हुई है. आईएमडी ने जुलाई महीने के लिए एलपीए की 103 फीसदी बारिश का अनुमान लगाया था लेकिन ये इससे ज्यादा चल रही है. लगातार भीषण बारिश से देश के अलग अलग हिस्सों में बाढ़, लैंडस्लाइड्स, वॉटरलॉगिंग की समस्या बढ़ रही है. कई राज्यों में नदियां उफान पर हैं और बिहार में कई तटबंध टूट गए हैं.
Latest Videos