जम्मू-कश्मीर: हुर्रियत कांफ्रेंस के आजीवन अध्यक्ष रहे सैयद गिलानी ने पार्टी से क्यों दिया इस्तीफा ?

by M. Nuruddin 3 years ago Views 3718

Jammu and Kashmir: Why did Syed Gilani, who was th
जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने सोमवार को हुर्रियत कांफ्रेंस से इस्तीफा दे दिया। वे हुर्रियत कांफ्रेंस के एक धड़े के पिछले 30 सालो से आजीवन अध्यक्ष थे।

सोमवार सुबह एक जारी ऑडियो संदेश में गिलानी ने कहा, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की मौजूदा स्थिति को देखते हुए, मैं इस मंच से पूरी तरह अलग होने की घोषणा करता हूं। इसके पीछे की वजह के बारे में तफ्सील से बताने के लिए मैंने इस फ्रंट से जुड़े सभी लोगो को ख़त लिख दिया है।


गिलानी ने अपने पत्र में पाकिस्तान के अलगाववादी नेतृत्व पर भाई-भतीजावाद और राजनीतिक भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। उन्होंने पाकिस्तान स्थित अलगाववादियों पर उनके भाषणों की गलत व्याख्या करने और भरोसे में ना लेकर मनमाने ढंग से फैसले लेने का भी आरोप लगाया।

इसके अलावा गिलानी ने अनुच्छेद 370 और 35A को भंग करने के मोदी सरकार के फैसले की आलोचना की है। उन्होंने अपने गुट के नेताओं पर अनुच्छेद 370 और 35A के भंग होने पर सही प्रतिक्रिया देने में विफल रहने का आरोप लगाया।

जानकारों के मुताबिक गिलानी का इस्तीफा एक महत्वपूर्ण घटना है जिसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव हो सकते हैं। इस्तीफे को हुर्रियत की कमजोर होती हालत के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन यह नए नेतृत्व के लिए अवसर भी खोल सकता है, जो की पिछले कुछ वर्षों की हुर्रियत की तुलना में अधिक आक्रामक हो।

अली शाह गिलानी पहले जमात-ए-इस्लामी कश्मीर के सदस्य थे। वे जम्मू-कश्मीर के सोपोर से लगातार तीन बार 1972, 1977 और 1987 में विधायक रहे। उन्होंने कश्मीर घाटी में आतंकवाद के फैलने के बाद से चुनावी राजनीति से दूरी बना ली। बाद में उन्होंने अलगाववादी राजनीति को बढ़ावा देने के लिए अपनी पार्टी तहरीक-ए-हुर्रियत का गठन किया। बता दें कि केन्द्र सरकार द्वारा धारा 370 को ख़त्म किए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी आंदोलनों को झटका लगा है।

जानकार मानते हैं, भारत सरकार द्वारा संविधान की धारा 370 और 35ए को ख़त्म किए जाने के बाद से ही गिलानी को पाकिस्तान की आलोचना झेलनी पड़ रही थी।

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